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पुद्गल-कोश
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तथा अनन्तप्रदेशी स्कन्ध- ये आनुपूर्वी संज्ञक द्रव्य हैं, परमाणु पुद्गल अनानुपूर्वी सज्ञक द्रव्य हैं तथा द्विप्रदेशी स्कन्ध अवक्तव्य द्रव्य है।
(च) से कि तं संगहस्स भंगोवदंसणया? २ तिपएसिया आणुपुची, परमाणुपोग्गला अणाणुपुष्वी, दुपएसिया अवत्तव्वए, अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुत्वी य अणाणुपुव्वी य अहवा तिपएसिया य दुपएसिया आणुपुवी य अवत्तव्वए य अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुत्वी य अवत्तत्रए य अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य आणुपुन्वी य अणाणुपुवी य अवत्तव्वए य, से तं संगहस्स भंगोवदंसणया।
-अणुओ० सू १२० । पृ० ११०१
संग्रहनय की अपेक्षा भंगोपदर्शनता इस प्रकार है
१-तीन प्रदेशी स्कंध को आनुपूर्वी द्रव्य कहते हैं, २-परमाणु पुद्गल अनानुपूर्वी द्रव्य है तथा ३-द्विप्रदेशी स्कंध अवक्तव्य द्रव्य है।
द्विसंयोगी ३ भंग-अथवा तीन प्रदेशी स्कंध पुद्गल और परमाणु पुद्गल को आनुपूर्वी तथा अनानुपूर्वी द्रव्य कहते हैं । ४ अथवा तीन प्रदेशी स्कंध और द्विप्रदेशी स्कंध को आनुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्य कहते हैं। ५ अथवा परमाणु पुदगल और द्विप्रदेशी स्कंध को अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्य कहते हैं। ६ अथवा तीन प्रदेशी स्कंध, परमाणु पुद्गल और द्विप्रदेशी स्कंध को आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी तथा अवक्तव्य द्रव्य कहते हैं।
(छ) x xx। निश्चयनयः- "कारणमेव तदन्त्यं, सूक्ष्मो नित्यश्च भवति परमाणुः। एकरसवर्णगंधो, द्विस्पर्शः कार्यलिङ्गश्च । इत्यादि लक्षणसिद्धनिविभागमेव परमाणुमिच्छति, यस्त्वेतरनेकर्जायते तं सांशत्वात् स्कंधमेव व्यपदिशति, व्यवहारस्तु तदनेकतानिष्पन्नोऽपि यः शस्त्रच्छेदाग्निदाहाऽदिविषयो न भवति तमद्यापि तथाविधस्थूलताप्रतिपत्तेः परमाणुत्वेन व्यवहरति, ततोऽसौ निश्चयतः स्कंधोऽपि व्यवहारनयमतेन व्यावहारिफपरमाणुरुक्तः।xxx।
-अभिधा० भाग ५ । पृ० ५४०
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