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पुद्गल-कोश टीका --'परमाणु'– इत्यादि सिय एयति' ति कदाचिद् एजते कादाचित्कत्वात् सर्वपुद्गलेषु एजनादिधर्माणाम्, द्विप्रदेशिके त्रयो विकल्पा:१ स्याद् एजनम्, २ स्याद् अनेजनम्, ३ स्याद् देशेन एजनम् -देशेनाऽनेजनं चेति ; द्वयंशत्वात्तस्येति, विप्रदेशिके पंच-आद्यास्त्रयः त एव, द्वयणुकस्याऽपि तदीयस्य एकत्वांशस्य तथाविधपरिणामेण एकदेशतया विवक्षितत्वात्, तथा ४ देशस्य एजनम्, देशयोश्चाऽनेजनम् इति चतुर्थः तथा ५ देशयोरेजनम्, देशस्य चाऽनेजनमिति पंचमः एवं चतुष्प्रदेशिकेऽपि, नवरम्-षट्, तत्र षष्ठो देशयोः एजनम्, प्रदेशयोरिव चाऽनेजनमिति ।
परमाणु पुदगल कदाचित् (१) कंपन करता है, (२) विशेष भाव से कंपन करता है, (३) देशांतर गति करता है, (४) स्पंदन-परिस्पंदन करता है, (५) सभी दिशाओं में गति करता है, (६) क्षुब्ध होता है अर्थात् प्रयत्न रूप से हलचल करता है तथा (७) उदीरण करता है। परमाणु पुद्गल उन-उन भावों में परिणमन करता है ; कदाचित् कंपन नहीं करता है यावत् उदीरण नहीं करता है तथा परमाणु पुदगल उन-उन भावों में परिणमन नहीं करता है ।
द्विप्रदेशी स्कंध – (१) कदाचित् कंपन करता है यावत् उदीरण करता है तथा उन-उन भावों में परिणमन करता है ; (२) कदाचित् कंपन नहीं करता है यावत् उदोरण नहीं करता है तथा उन-उन भावों में परिणमन नहीं करता है; (३) कदाचित एक देश कंपन करता है तथा एक देश कंपन नहीं करता है ।
तीन प्रदेशी स्कंध-(१) कदाचित् कंपन करता है; (२) कदाचित् कंपन नहीं करता है; (३) कदाचित् एक देश कंपन करता है, एक देश कंपन नहीं करता है; (४) कदाचित् एक देश कंपन करता है, बहु (दो) देश कंपन नहीं करते हैं; (५) कदाचित् बहु (दो) देश कंपन करते हैं, एक देश कंपन नहीं करता है।
चतुष्प्रदेशी स्कंध-(१) कदाचित् कंपन करता है; (२) कदाचित् कंपन नहीं करता है; (३) कदाचित् एक देश कंपन करता है, एक देश कंपन नहीं करता है; (४) कदाचित् एक देश कंपन करता है, बहुदेश कंपन नहीं करते हैं; (५) कदाचित् बहुदेश कंपन करते हैं, एक देश कंपन नहीं करता है; कदाचित् बहुदेश कंपन करते हैं, बहुदेश कंपन नहीं करते हैं।
इसी प्रकार पंचप्रदेशी स्कंध यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध में छः भंग-विकल्प समझने चाहिए।
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