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पुद्गल-कोश '०९०२ निक्षेप की अपेक्षा विवेचन
पोग्गल–अत्तत्ति अणियोगद्दारे पोग्गलो णिक्खि विदन्वो। तंजहाणाम-पोग्गलो ट्ठवणपोग्गलो दव्वपोग्गलो भावपोग्गलो चेदि चम्विहो पोग्गलो। णामट्ठवणापोग्गला सुगमा। दव्वपोग्गलो आगम-णोआगमदव्वपोग्गलभेषेण दुविहो। आगमपोग्गलो सुगमो। गोआगमपोग्गलो तिविहो जाणुगसरीर-भविय-तव्वदिरित्तं चेति । जाणुगसरीर-भवियं गदं । तव्वदिरित्तपोग्गलो थप्पो। भावपोग्गलो दुविहो आगम-णोआगमभावपोग्गलभेएण। आगमो सुगमो। णोआगमभावपोग्गलो रूव-रस-गंध फासादिभेएणं अणेयविहो। तत्थ णोआगमतव्वदिरित्तदव्वपोग्गले पयदं ।
-षट् ० खण्ड ० ६ । द्वा १९ । पु १६ । पृ० ५१४ 'पुद्गलात्त' इस अनुयोगद्वार में पुद्गल का निक्षेप किया जाता है । यथा-नाम पुद्गल, स्थापना पुद्गल, द्रव्य पुद्गल और भाव पुद्गल के भेद से पुद्गल चार प्रकार का है। इनमें नाम पुद्गल और स्थापना पुद्गल सुगम हैं। द्रव्यपुद्गलआगमद्रव्य पुद्गल और नोआगमद्रव्य पुद्गल के भेद से दो प्रकार का है। आगमद्रव्यपुद्गल सुगम है। नोआगमद्रव्यपुद्गल तीन प्रकार का है -ज्ञायक शरीर, भावी
और तद्व्यतिरिक्त । ज्ञायक शरीर और भावी अवगत है। तव्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यपुद्गल को अभी छोड़ते हैं। आगम और नोआगम भावपुद्गल के भेद से भावपुद्गल दो प्रकार का है। उनमें आगमभाव पुद्गल सुगम है। नोआगमभावपुद्गल रूप, रस, गंध और स्पर्श आदि के भेद से अनेक प्रकार का है। उनमें यहाँ तव्यतिरिक्त नोआगम द्रव्यपुद्गल प्रकृत है।
.१०२९ ओधिक पुद्गल का विवेचन ११ पुद्गल के गुण .११.०१ द्रव्यत्व
(क) कइविहा णं भंते ! सव्वदव्वा पन्नत्ता? गोयमा ! छविहा सव्वदव्वा पन्नता, तंजहा-धम्मत्थिकाए, अधम्मस्थिकाए जाव ( आगासत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए, जीवत्थिकाए ) अद्धासमए।
-भग• श २५ । उ ४ । सू ४
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