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पुद्गल-कोश
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रूप में, नील वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं । गंध से सुरभिगंध रूप में और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं । रससे तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं । स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत और उष्ण स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं । संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२३]
इस प्रकार कर्कश स्पर्श रूप में परिणत हुए पुद्गल यावत् रूक्ष स्पर्श रूप में परिणत हुए पुद्गलों के कुल ( २३४ ८ = १८४ ) १८४ विकल्प - भंग होते हैं ।
(च) संस्थान की अपेक्षा पुद्गल में वर्ण - गंध-रस स्पर्श = कुल १०० भेद परिमंडलसं ठाणे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओ वि य ॥ संठाणओ भवे वट्टे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओ वि यं ॥
ठाणओ भवे तसे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओ वि य ॥ सं ठाणओ य चउरंसे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओ विय ॥ जे आययसंठाणे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओ विय ॥
—उत्त० अ ३६ | गा ४३ से ४७ । पृ० ३२४
जे संठाणओ परिमंडलसं ठाणपरिणया ते वण्णओ कालवण्णपरिणया वि नीलवण्णपरिणया वि लोहियवण्णपरिणया वि हालिद्दवण्णपरिणया वि सुक्किलवण्णपरिणया वि, गंधओ सुब्भिगंधपरिणया वि दुब्भिगंधपरिणया वि, रसओ तित्तरसपरिणया वि कडुयरसपरिणया वि कसायरसपरिणया वि अंबिलरसपरिणया वि महररसपरिणया वि, फासओ कक्खडफासपरिणया वि मउयफासपरिणया वि गरुयफासपरिणया वि, लहुयफासपरिणया वि सीयफासपरिणया वि उसिणफासपरिणया वि निद्धफासपरिणया वि लुवखफासपरिणया वि । २०३
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