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पुद्गल - कोश
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जो कर्कश स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है । अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से कर्कश स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण रूप में, नील वर्ण रूप में, लोहित वर्णं रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं। गंध से सुरभिगंध रूप में और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं । रस से तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में, मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं । स्पर्श से गुरु, लघु, शीत, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं । संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं ।
उष्ण,
नोट - - इस प्रकार जो स्पर्श से कर्कश स्पर्श के परिणाम वाले हैं उनके ५ वर्ण, २ गंध, ५ रस, प्रतिपक्षी स्पर्श के अभाव होने से ६ स्पर्श और ५ संस्थान की अपेक्षा से — सर्व मिलकर २३ भेद होते हैं इसलिए कहा जाता है कि कर्कश स्पर्श के परिणाम वाले पुद्गलों के २३ भंग होते हैं ।
जो मृदु ( कोमल ) स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की परिणत होते हैं वे वर्ण से
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भजना है । अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से मृदु स्पर्श रूप में काले वर्ण रूप में, नीले वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं गंध से रूप में भी परिणत होते हैं । रस से तिक्त रस मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं । रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं । और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२३]
हारिद्र वर्ण रूप में और सुरभिगंध रूप में तथा दुरभिगंध रूप में, कटु, कषाय, आम्ल और स्पर्श से गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और संस्थान से परिमण्डल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र
जो गुरु स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है । अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से गुरु स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण रूप में, नील वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं । गंध से सुरभिगंध रूप में और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं । रस से तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं स्पर्श से कर्कश, मृदु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष रूप में भी परिणत होते हैं । संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२३]
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जो लघु स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है । अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से लघु स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण रूप में, नौल वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में
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