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पुद्गल - कोश
०७ पुद्गल के भेद ०७१ एक भेद
एगे परमाणू ।
टीका – 'एगे परमाणु' स च स्वरूपतः एक एवान्यथा परमाणुरेवासौ न स्यादिति । अथवा समयादीनां प्रत्येकमनन्तानामपि तुल्यरूपापेक्षयेकत्वमिति । यथा परमाणोस्तथाविधैकत्वपरिणामविशेषादेकत्वं भवति तथा
तत एवानन्ताणुमयस्कंधस्यापि स्यादिति दशयन् ।
परमाणु स्वरूपतः एक ही है । यदि ऐसा नहीं माना जाय तो —- यह 'परमाणु'ऐसा नाम ही नहीं होता है । अथवा समय, प्रदेश और परमाणु अनंत होने पर भी तुल्यरूप को अपेक्षा उनमें एकपन है । जिस प्रकार तथाविध एकत्व परिणाम विशेष से परमाणु का एकपन होता है उसी प्रकार उसी कारण से अनंत परमाणुमय स्कंध का एकपन होता है ।
०७२ दो भेद
०७ २१ सूक्ष्म परमाणु - व्यावहारिक परमाणु परमाणू दुविहे पन्नत्ते, तं जहा
परमाणु के दो भेद हैं
- ठाण० स्था २ । सू ४५ । पृ० १८३
से किं तं परमाणू ? परमाणू दुविहे पन्नत्ते, तं जहा - सुहुमे य १ वावहारिए य २ ।
*०७'२'२ कारण परमाणु - कार्य परमाणु परमाणू चेव दुवियप्पो ।
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सुहुमे अ वावहारिए अ ।
- जंबू ० वक्ष २ । सू १९ । पृ० ५४३
- यथा -- सूक्ष्म परमाणु और व्यावहारिक परमाणु ।
- अणुओ० सू ३४० । पृ० ११२४-२५
परमाणु दो प्रकार के हैं - यथा - कारण परमाणु और कार्य परमाणु ।
- नियम ० अ २ । गा २० पूर्वार्ध
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