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विवाह-क्षेत्र-प्रकाश
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इसके बाद म्लेच्छोके इस आचारकी कुछ सफाई पेश करके, आप फिर लिखते हैं -
"उन मलेक्षोमे हिसा, मांसभक्षण आदिकी प्रवृत्ति सर्वथा नही थी।"
"बहुतसे लोग जो म्लेच्छोको नीच और कदाचरणी समझ रहे हैं उनकी वह समझ बिलकुल मिथ्या है।"
"इन मलेक्ष राजाओको नीचा, हिंसक, मासखोर आदि कहना सर्वथा मिथ्या और शास्त्र-विरुद्ध है।"
पाठकजन, देखा | समालोचकेजीने म्लेच्छखण्डके म्लेच्छोको किस टाइपके म्लेच्छ समझा है। कैसी विचित्र सृष्टिका अनुसधान किया है। आपको तो शायद स्वप्नमे भी उसका कभी खयाल न आया हो। अच्छा होता यदि समालोचकजी उन म्लेच्छोका एक सर्वांगपूर्ण लक्षण भी दे देते । समझमे नही आता जब वे लोग हिंसा नही करते, मॉस' नही खाते, शराब नही पीते, जवरदस्ती दूसरोका धन नही हरते, अन्याय नही करते, ये सव वाते उनमे कभी थी नही, वे इनकी प्रवृत्तिसे सर्वथा रहित हैं और साथ ही नीच तथा कदाचरणी भी नही हैं, तो फिर उन्हे ‘म्लेच्छ' क्यो कहा गया ? उनकी पवित्र भूमिको 'म्लेच्छखण्ड' की सज्ञा क्यो दी गई ? क्या उनसे किसी आचार्यका कोई अपराध बन गया था या वैसे ही किसी आचार्यका सिर फिर गया था जो ऐसे हिंसादि पापोसे अस्पृष्ट पूज्य मनुष्योको भी 'म्लेच्छ' लिख दिया ? उनसे अधिक आर्योंके और क्या कोई सीग होते हैं, जिससे मनुष्य जातिके आर्य और म्लेच्छ दो खास विभाग किये गये हैं ? महाराज | आपकी यह सब कल्पना किसी भी समझदारको मान्य नही हो सकती। म्लेच्छ प्राय