________________
७७६
युगवीर-निवन्धावली
पास रही और न रहेगी; प्राण भी क्षणभगुर है, एक-न-एक दिन इनका सम्बन्ध जरूर छूटेगा, कुटुम्बीजन तथा इष्ट-मित्रादिक अपने-अपने मतलबके साथी हैं, इनका भी सम्बन्ध सदा बना नही रहेगा, सिवाय अपने धर्मके परलोकमे और कोई भी साथ नहीं जाएगा और न कुछ काम आ सकेगा, इसलिये इनके कारण अपना धर्म विगाडना बडा मनर्थ है, कदापि अपने धर्मको छोडकर अन्याय मार्गपर नही चलना चाहिये।