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युगवीर-निवन्धावली
साधारण पत्र ही समझता आरहा था और इसीलिये कभी इसे ठीक तीरसे पढता भी नहीं था, परन्तु आज मालूम हा कि यह तो बडे ही कामका पत्र है-इसमे तो बड़ी-बडी गूढ बातोको बड़े अच्छे सुगम ढगसे समझाया जाता है। पडितजी-( वीचमे ही वात काटकर ) देखिये न, इस नववर्षाङ्कमे दूसरे भी कितने सुन्दर-सुन्दर लेख हैं-समन्तभद्रविचारमाला नामकी एक नई लेखमाला शुरू की गई है, जिसमें 'स्वपरवैरी कौन' इसकी बडी ही सुन्दर एव हृदयग्नाही व्याख्या है, तत्त्वार्थसूत्रके बीजोकी अपूर्व खोज है, 'समन्तभद्रका मुनिजीवन और आपत्काल' लेख बडा ही हृदयद्रावक एव शिक्षाप्रद है, 'भक्तियोग रहस्य' मे पूजा-उपासनादिके रहस्यका बडे ही मार्मिक ढगसे उद्घाटन किया है । दूसरे विद्वानोके भी अनेक महत्वपूर्ण सैद्धान्तिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक और सामाजिक लेखोसे यह अलकृत है, अनेकानेक सुन्दर कविताओसे विभूषित हैं, और 'आत्मबोध' जैसी उत्तम शिक्षाप्रद कहानियो को भी लिये हुए है। इसकी 'पिंजरेकी चिडिया' बडी ही भावपूर्ण हैं। और सम्पादकजीकी लेखनीसे लिखी हुई 'एक आदर्श जैनमहिलाकी सचित्र जीवनी' तो सभी स्त्री-पुरुषोके पढने योग्य है और अच्छा आदर्श उपस्थित करती है । गरज इस अकका कोई भी लेख ऐसा नही जो पढने तथा मनन करनेके योग्य न हो। उनकी योजना और चुनावमे काफी सावधानीसे काम लिया गया है। सेठजी- मैं सब लेखोको जरूर गौरसे पहूँगा, और आगे भी बराबर 'अनेकान्त' को पढा करूँगा तथा दूसरोको भी पढनेकी प्रेरणा किया करूँगा। साथ ही अब तक न पढते रहनेका कुछ