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मक्खनवालेका विज्ञापन
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प्रायश्चित्त भी करूंगा-इस पत्रको कुछ सहायता जरूर भेजूगा । बडो हो कृपा हो पडितजी, यदि आप कभी कभी दर्शन देते रहा करें। आज तो मैं आपसे मिल कर बहत ही उपकृत हुआ। पडितजी-मुझे आपसे मिलकर बडी प्रसन्नता हुई । आपने मेरी बातोको ध्यानसे सुना, इसके लिये मैं आपका आभारी हूँ । यथावकाश में जरूर आपसे मिला करूंगा। अच्छा अब जानेकी इजाजत चाहता हूँ। ( सेठजीने खडे होकर बडे आदरके साथ पडितजोको बिदा किया और दोनो ओरसे 'जयजिनेन्द्र' का सुमधुरनाद हर्षके साथ गूंज उठा।)
१. अनेकान्त वर्ष ४, कि, ३, अप्रेल १९४१