Book Title: Yugveer Nibandhavali Part 2
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 843
________________ जैन कालोनी और मेरा विचार - पत्र ८३५ हो सकती है। मालूम हुआ कि यहाँ दरियागमे पहले मच्छरोका बडा उपद्रव था । गवर्नमेंटने ऊपरसे गैस वगैरह छुडवाकर उसको शात कर दिया और अब वह बडी रोनकपर है और वहाँ बडेas कोठी - बगले तथा मकानात और बाजार बन गए है। ऐसी हालत मे यदि जरूरत पड़ी तो राजगृहमे भी वैसे उपायोसे काम लिया जा सकेगा, परन्तु मुझे तो जरूरत पडती हुई ही मालूम नही होती । साधारण सफाईके नियमोका सखनी के साथ पालन करने और कराने से ही सब कुछ ठीक-ठीक हो जायगा । अतः इसी पवित्र स्थानको फिरसे उज्जीवित ( Relve ) करने का श्रेय लीजिये, इसीके पुनरुत्थानमे अपनी शक्तिको लगाइये और इसीको जैन कालोनी बनाइये । अन्य स्थानोकी अपेक्षा यहां शीघ्र सफलताकी प्राप्ति होगी । यहाँ जमीनका मिलना सुलभ है और कालोनी बसानेकी सूचनाके निकलते ही आपके नक्शे आदिके अनुसार मकानात बनानेवाले भी आसानी से मिल सकेंगे और उसके लिये आपको विशेष चिन्ता नही करनी पडेगी । कितने ही लोग अपना रिटायर्ड जीवन वही व्यतीत करेंगे और अपने लिये वहाँ मकानात स्थिर करेंगे । जिस सस्थाकी बुनियाद अभी कलकत्ते मे डाली गई वह भी वहाँ अच्छी तरहसे चल सकेगी । कलकत्ते जैसे बडे शहरोका मोह छोडिये और इसे भी भुला दीजिये कि वहाँ अच्छे विद्वान् नही मिलेंगे । जब आप कालोनी जैसा आयोजन करेंगे तब वहाँ आवश्यकता के योग्य आदमियोकी कमी नही रहेगी । यह हमारा काम करनेसे पहलेका भयमात्र है | अतः ऐसे भयोको हृदयमे स्थान न देकर और भगवान महावीरका नाम लेकर काम प्रारम्भ कर दीजिये । आपको जरूर सफलता मिलेगी ओर यह कार्य आपके जीवनका

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