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युगवीर-निवन्धावली
३- मूलीकी छाल मोटी होती है और इसलिये उसे अनतकाय कहना चाहिये । परन्तु छालको उतार डालने पर मूलीका जो भीतरका भाग प्रकट होता है उसकी शिराएँ, रगरेशे अच्छी तरहने दिखाई देने लगते हैं, तोडनेपर वह समभग रूपसे भी नहीं टूटता। ऐसी हालत मे सभव है कि मूलीका भीतरी भाग अनतकाय न हो ।
४-आलूका ऊपरका छिलका बहुत पतला होता है । अत वह अनंतकाय न होना चाहिये ।
विद्वानोको चाहिये कि वे भी इसी तरह कदमूलादिकी जाँच करें और फिर उसके नतीजेसे सूचित करने की कृपा करें ।
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१. जैन हितैपी भाग १४, अक १०-११, जुलाई-अगस्त १९२० ।