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उपासना-विषयक समाधान
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अपने हृदयका भी कुछ ऐसा ही भाव व्यक्त किया है । अत पहले इस अर्थ-विपयक भ्रान्तिका ही निरसन किया जाता है
जो कल्प, कल्पन अथवा कल्पना किया गया हो उसे 'कल्पित' कहते हैं, क्लुप्त भी उसीका नामान्तर है, और वे सव' शब्द क्लृप धातुसे भिन्न-भिन्न प्रत्यय लगकर बने हैं। शब्दकल्पद्रुम कोशमे 'कल्प.' का अर्थ सबसे पहले 'विधि' दिया है और 'कल्प्यते विधीयते असौ कल्प' ऐसी उसकी निरुक्ति भी दी है, इससे कल्पका प्रधान अर्थ 'विधि' जान पड़ता है। अमरकोशमै भी 'कल्पे विधिक्रमौ' पदके द्वारा कल्पका विधि अर्थ सूचित किया है
और हेमचन्द्र तथा श्रीधर नामके जैनाचार्योने भी अपने-अपने कोशोमे उक्तविधि अर्थका प्रतिपादन किया है । यथा
कल्पो विकल्पे कल्पद्रौ सवर्ते ब्रह्मवासरे । शास्त्रे न्याये विधौ । इति हेमचन्द्र । कल्पो ब्रह्मदिने न्याये प्रलये विधिशातयो ।
-इति श्रीधर । इसके सिवाय, शब्दकल्पद्रुममे कल्पनाका अर्थ 'रचना', 'सज्जना' तथा 'अनुमिति', कल्पनका 'क्लूप्ति', कल्पितका 'रचित' तथा 'सज्जित' और क्लृप्तका अर्थ 'नियत' तथा 'कृतकल्पन' भी दिया है । वामन शिवराम आप्टेके कोशमे भी इन अर्थोंका उल्लेख मिलता है, उन्होने कल्पित और क्लुप्त शब्दोका अर्थ साफतौरपर Arranged, made, faphioned, fromed, Prepared, done, gotready, equipped, Caused, Produced, fixed, settled, thought of, invented, framed, ascertained 370 detesimined fant और इन सव अर्थोपरसे यह स्पष्ट जाना जाता है कि 'कल्पित'