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युगवीर-निवन्धावली
क्रमणिका ( Index ) अग्रेजीमे उनके तुल्यार्थक शब्दो अथवा अर्थोके साथ गाथाओके पते सहित ।
(६) ग्रन्यकी अनेक प्रतियोमे पाये जानेवाले पाठ-भेदोकी सूची ( Variant readings)।
(७) ग्रन्थकी गाथानुक्रमणिका ।
(८ ) अमृतचन्द्राचार्यकी टीकामे प्रयुक्त हुए उद्धृताऽनुधृतपद्योकी वर्णानुक्रम-सूची।
(६) जयसेनाचार्यकी टीकामे उद्धृत हुए पद्योकी अनुक्रमसूची।
(१०) अग्नेजी प्रस्तावनामे प्रयुक्त हुए ग्रन्थो, ग्रन्थकारो तथा दूसरे नामो आदिकी वडी सूची ( Index to Introduction )i
इन सब विशेषताओ एव वृद्धियोके साथ ग्रथकी पृष्ठसख्या भी वढी है और वह सब मिलकर ५८० हो गई हैअर्थात् प्रथमसस्करणसे इस सस्करणमे प्राय २०० पृष्ठ अधिक हैं । कागज पहलेसे अच्छा, जिल्द सुन्दर और गेटअप सवअप-टु-डेट है । इन सब विशेपताओके साथ ग्रन्थका मूल्य ५) रु० अधिक नहीं है-भले ही वह उनलोगोको कुछ अखरता हो जो अग्रेजी नही जानते हैं । अब यह ग्रथ अग्रेजी पढे लिखे विद्वानोके लिए भी बहुत ही उपयोगी हो गया है और प्रत्येक लायब्रेरी, पुस्तकालय, शास्त्रभडार तथा उच्चकोटिकी शिक्षा-सस्थाओमे सग्रह किये जानेके योग्य है । अस्तु ।।
इस संस्करणकी सबसे बड़ी खूबी और विशेषता इसकी ऐतिहासिक प्रस्तावना ( Introduction ) है, जिसे प्रोफेसर साहबने बड़े ही परिश्रमसे तैयार किया है और जो उनके पाण्डित्य, तुलनात्मक अध्ययन तथा गहरे अध्यवसायका द्योतन