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युगवीर निबन्धावली रखते हैं और प्राय गम्भीर मुद्रामे रहते हैं। शारीरिक प्रकृतिके ठीक न रहते हुए भी आप अपनी जिम्मेदारीको समझते और अपने कामको तत्परताके साथ करते हैं। कालेजके अध्यक्ष पद पर आसीन होते हुए भी मैंने एक कुली तकका काम करते हुए उन्हे देखा है, इससे अहंकारकी मात्रा और सेवा-भावकी स्पिरिट कितनी है दोनोका सहज पता चल जाता है । सरलता तो आपमें इतनी है कि कभी-कभी उससे अव्यवहार-निपुरणता तकका भान होने लगता है। इन्ही सब गुणोके कारण मैं इस अवसर पर आपका हृदयसे अभिनन्दन करता हूँ और साथ ही यह भावना भाता हूँ कि आप स्वस्थताके साथ शतायु हो और समाजकी सविशेषरूपसे सेवा करनेमे सदा सावधान रहे।