________________
७५८
युगवीर-निवन्धावली तत्पुरुष समाससे 'लोकनाथ' हैं ( लोकाना जनाना नाथ एवविधस्त्व, राजत्वेन पालकत्वात् ), जिसका आशय यह है कि राजा होकर मनुष्योकी रक्षा व पालना करनेके कारण लोगोके जो नाथ सो ऐसे आप 'लोकनाथ' हैं।
राजा साहब इस उत्तरको सुनकर, विनयवचनादि द्वारा प्रकाशित अपनी मूर्खतापर वहुत लज्जित और भिक्षुककी विद्वत्ता
और युक्तिमय वचनोपर प्रसन्नचित्त हुए और उस भिक्षुकको इनाममे कुछ मुहरें देकर विदा किया' ।
१. जैन गजट, १-७ १९०७