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पं० ठाकुरदासजीका वियोग
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अजितसागरजी मुनि महाराजने प० आशाधरजी के दर्शनपाठ, जिन - सहस्त्रनाम स्तवन, अर्हत्स्तुति, सिद्धस्तुति, सरस्वता स्तोत्र, महर्षि स्तोत्र, अध्यात्मरहस्य, द्वादशानुप्रेक्षा, द्वाविंशति - परीपह, चतुर्विंशति स्तुति, स्वस्त्ययन - विधान आनन्दस्तव, वृहद् स्वस्त्ययन, इन १३ मूल कृतियोको लिखकर भेजा है । इनका सशोधन करके ग्रथका नामकरण भी करना है । क्या 'सूरिकल्प पडित आशाधरजी कृत दर्शनपाठादि - सग्रह नाम ठीक रहेगा । आप
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लिखें तो मैं पूरा ग्रन्थ आपके पास भेज दू ।