________________
एक ही अमोघ उपाय
चाहिये कि वे इसी कामके लिये उन स्थानोपर शीघ्र दौरा करें, जहाँपर ये बडे-बडे विद्यालय तथा इनकी प्रबन्धकारिणी कमेटीके सदस्य स्थित हैं और उन सदस्यो तथा अधिकारियोसे मिलकर यह अनुरोध करें कि वे उक्त उपायकी योजनानुसार अपने-अपने विद्यालयोको बन्द करनेकी स्वीकारता प्रदान करें। साथ ही, सबकी सम्मतिसे एक तारीख निश्चित की जाय जिसपर दिगम्बर समाजमे उक्त उपायकी योजनाका कार्य दृढताके साथ प्रारम्भ किया जाय । रही श्वेताम्बर-समाजकी बात, उसकी स्थिति दिगम्बर-समाजसे भिन्न है। उसमे बहुतसे विद्वान् मुनि मौजूद हैं, जिनपर जैन-सिद्धान्तकी रक्षाका उत्तरदायित्व उसके गृहस्थ पडितोकी अपेक्षा अधिक है। और इसलिये इस विपयमे अपनी परिस्थितियोके अनुसार वे दोनो ही कोई अच्छी योजना सोच सकते हैं। खुद ही सोचकर उसे प्रकट करना और अमलमे लाना चाहिये।
जो सज्जन उक्त उपायसे सहमत न हो, उन्हे उसका कारण बतलाते हुए दूसरा कोई और इससे अच्छा अमोघ उपाय प्रस्तुत करना चाहिये, जो अमलमें लाया जा सके और यदि वे आशिक रूपसे असहमत हो तो उन्हे अपना सशोधन उपस्थित करना चाहिये। साथ ही, यह ध्यानमे रखना चाहिये कि कोरी विद्वन्मडलियोकी स्थापनासे काम नही चलेगा-वे अनेक बार स्थापित की जा चुकी हैं और अपनी नि सारताको सिद्ध कर चुकी हैं। हॉ, वे भविष्यमे उस वक्त सार्थक सिद्ध हो सकेंगी जव पडितोका यह मानसिक दौर्वल्य दूर हो जायगा और वे स्वस्थ होकर पूर्ण मनोबलके साथ अपना कार्य करने लगेंगे-उनके इस रोगकी चिकित्साका वे साधन नही हो सकती।
अन्तमे मैं अपने पाठकोसे यह भी निवेदन कर देना चाहता