________________
ब्रह्मचारीजीकी विचित्र स्थिति और अजीव निर्णय ३२७
गौतमके देह-त्यागके पीछे जब राजगृहमे अजातशत्रु राज्य कर रहा था तब गोपक-मग्गलानो ब्राह्मणसे आनन्दका वार्तालाप हुआ है कि जैसे गौतम बुद्ध थे वैसा कोई बुद्ध उनके पीछे है क्या ? इत्यादि । इससे विदित है कि अजातशत्रुका राज्य होते ही गौतम बुद्धका भी देहावसान हो गया था । महावीर स्वामींका इससे ३ या ४ वर्ष पूर्व हुआ था, बुद्धचर्या' से यह बात साफ प्रकट है ।"
--
उक्त सूत्र यद्यपि मेरे सामने नही है फिर भी सूत्रके वक्तव्यको जिन शब्दोमे ब्रह्मचारीजीने रक्खा है उनपर से समझमे नही आता कि वे कैसे उक्त नतीजा निकालने बैठे हैं। उन शब्दोसे तो सिर्फ इतना ही पता चलता है कि उक्त वार्तालाप बुद्धकी मृत्युके बाद हुआ और अजातशत्रुके राज्यमे हुआ — इससे अधिक और कुछ नही । बुद्धका निर्वाण तो बौद्ध ग्रन्थोमे भी अजातशत्रुके राज्यके आठवे वर्पमे बतलाया है जैसा कि 'बुद्धचर्या ' के “सम्यक् सवुद्ध अजातशत्रुके आठवे वर्ष मे परिनिर्वाणको प्राप्त हुए" इन शब्दोसे भी जाना जाता है ( पृष्ठ ५७७ ) । और 'महापरिणिव्वाणसुत्त' से यह साफ मालूम होता है कि बुद्ध जब राजगृहमे गृध्रकूट पर्वत पर विहार कर रहे थे तब अजातशत्रुका राज्य चल रहा था और अजातशत्रु बज्जियो पर चढाई करना चाहता था ? जिसके सम्बन्धमे उसने अपने महामंत्री को भेजकर बुद्ध से प्रश्न भी कराया था ( देखो 'बुद्धचर्या' पृ० ५२० पर उक्त सूत्रका अनुवाद ) । ऐसी हालत मे ब्रह्मचारीजीका यह कहना कि 'अजातशत्रुका राज्य होते ही गौतम बुद्धका देहावसान हो गया था', बडा ही विचित्र और बिना सिर-पैरका जान पडता है । इसी तरह यह कहना भी निराधार और अविचारित