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युगवीर-निवन्धावली मालूम होता है कि महावीर स्वामीका देहावसान इससे ३ या ४ वर्ष पूर्व हुआ ? क्योकि इसके द्वारा ब्रह्मचारीजी यह प्रतिपादन करना चाहते हैं कि अजातशत्रुके राज्यसे ३ या ४ वर्ष पहले राजा श्रेणिकके राज्यमे ही महावीरका निर्वाण हुआ है । परन्तु यह बात खुद बौद्ध ग्रन्थो और उस बुद्धचर्या के भी विरुद्ध पडती है, जिसकी आप दुहाई दे रहे हैं, क्योकि 'दीघनिकाय' के 'सामंजफलसुत्त' का जो अनुवाद बुद्धचर्यामे दिया है उससे साफ जाना जाता है कि आजतशत्रुके राज्यमे बुद्ध ही नहीं, किन्तु निगठनात पुत्त ( महाबीर ) आदि दूसरे छह तीर्थंकर भी मौजूद थे, अजात शत्रुने उन सबसे मिलकर प्रश्नोत्तर किये थे ! अन्तको बुद्धके उत्तरसे सन्तुष्ट होकर वह बुद्धका शरणागत ( उपासक ) बना था और उसने बुद्धके सामने अपने पिता (श्रेणिक ) को जानसे मार डालनेका अपराध स्वीकार किया था। ऐसी हालतमे ब्रह्मचारीजी बतलाये कि उनका यह सब कथन कैसे सगत हो सकता है ? ___ एक स्थान पर ब्रह्मचारीजी लिखते हैं--"प्रभु जब ४२ वर्षके थे तब गौतम बुद्ध ४७ वर्ष के थे। गौतम बुद्धका उपदेश अपनी ३५ वर्षकी उम्रमे शुरू हुआ अर्थात् महावीर भगवानसे १२ वर्ष पहले । यही कारण था कि राजा श्रेणिक बाल्यावस्थामे वुद्ध-मतानुयायी हो गया था, पीछे महावीर स्वामीके केवलज्ञानी होने पर जैनी हुआ है ।" परन्तु इससे महावीर-निर्वाणका पहले और बुद्ध-निर्माणका पीछे होना लाजिमी नहीं आता। बल्कि बौद्धधर्मका प्रचार १२ वर्ष पहले होनेसे उसके उपदेष्टा बुद्धका, जो अवस्थामे भी महावीरसे बडे थे, देहावसान महावीरके निर्वाणसे पहले होना अधिक सभावित जान पड़ता है। तब समझमे नही आता कि ब्रह्मचारीजीने अन्तिम पैराग्राफसे पहले इस निरर्थक बातका उल्लेख करना क्यो जरूरी समझा है ?