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युगवीर-निवन्धावली
सूचित किया गया है कि 'इस ग्रथमालामे सभी जैन सप्रदायोके पवित्र ग्रथ विना किसी तरफदारी या पक्षपातके समान आदरके पात्र बनेंगे।' इस तरह इस ग्रथमालाके द्वारा जैनियोंके सम्पूर्ण उत्तम और प्रामाणिक ग्रथोको ( प्राचीन संस्कृत टीकामो तथा अग्रेजी अनुवादादि-महित ) प्रकाशित करके जैन-अजैन सभीके लिये पक्षपात-रहित अनुसंधान करनेके वास्ते एक विशाल क्षेत्र तैयार करनेका अनुष्ठान किया गया है, जिससे अजैन लोक जैनियोके तत्त्वोका यथार्थ स्वरूप जानकर और जैनी भाई अपने-अपने सम्प्रदायके वास्तविक भेदो तथा उनके कारणोको पहचानकर परस्परका अतानजन्य मनोमालिन्य दूर कर सके। ग्रथमालाके सस्थापको और सचालकोके ये सब आशय और विचार बडे ही स्तुत्य और अभिनन्दनीय हैं। मैं हृदयसे उनके इस उद्देश्यका समर्थन करता हुआ इसके शीघ्र सफल होनेकी भावना करता हूँ।
उक्त ग्रथमालाका यह आलोच्य ग्रथ, द्रव्य-सग्रह, वडी सुन्दरताके साथ बढिया कागज पर छपाया गया है । सुवर्णाक्षरोसे अकित मनोहर जिल्द वधी हुई है, और छपाई सफाई सव उत्तम हुई है। ग्रथमे, मूलग्रथका प्रत्येक प्राकृत पद्य पहले देवनागरी अक्षरोमे, फिर अग्रेजी अक्षरोमै छापा गया है और उसकी सस्कृत छाया दोनो प्रकारके अक्षरोमे नीचे फुटनोटके तौरपर दी गई है। प्रत्येक मूल पद्यको उभयाक्षरोमे छापनेके बाद सबसे पहले उसका 'पदपाठ' दोनो प्रकारके अक्षरोमे, अग्रेजी अनुवाद-सहित, भिन्न टाइपमे, दिया गया है और फिर कुछ मोटे टाइपमे उसका क्रमवद्ध अग्रेजी अनुवाद साथमे लगाया गया है। अनुवादमे जीव-अजीवादि पारिभाषिक शब्दोको प्राय ज्योका त्यो रखकर वैकटो आदिमे उनका स्पष्टीकरण किया गया है और इस तरह पाठकोको समझनेकी गडबडीसे बचाया गया है। इसके बाद