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द्रव्य-सग्रहका अग्रेजी संस्करण
५४१ अग्रेजी टीका ( Commentary ) रक्खी गई है। यह टीका ब्रह्मदेवकी सस्कृत टीकाका अनुवाद नहीं है। सस्कृतको उक्त टीका, आध्यात्मिक दृष्टिसे निश्चय और व्यवहारका पृथक्करण करते हुए, कुछ विस्तारके साथ लिखी गई है, परन्तु यह अग्रेजी टीका उक्त दृष्टिको छोडकर एक दूसरे ही ढग पर, सक्षेपके साथ, तैयार की गई है। इसके तैयार करनेमे दूसरे ग्रथोके जिन वाक्योसे सहायता ली गई है, अथवा जिनका आशय तथा अनुवाद इस टीकामे शामिल किया गया है, उन सबका उल्लेख भी मय पतेके फुटनोट्स आदिमे कर दिया गया है। यही इस टीका एक खास खूवी है और इससे एक विषयपर अनेक विद्वानोके मतोका एक साथ बोध हो जाता है । परन्तु यह कार्य कुछ अधिक विस्तार और खोजके साथ होता तो और भी अच्छा रहता । अस्तु ।
टीकामे अनेक वातें ऐसी भी लिखी गई हैं, जिनका कोई प्रमाण नही दिया गया और जिनका दिग्दर्शन पाठकोको आगे चलकर कराया जायगा । इस टीकाके सिवाय ब्रह्मदेवकी उक्त सस्कृत टीका भी, अलग पृष्ठसख्या डालकर, ग्रथके साथ शामिल की गई है, परन्तु उसका कोई अनुवाद नहीं दिया गया। ग्रथम ५ पृष्ठके उपोद्घातके अतिरिक्त, ३० पेजकी एक प्रस्तावना ( Introduction ) भी लगाई गई है, जिसमे चामुडरायके द्वारा गोम्मटेश्वरकी मूर्तिके बनने तथा नेमिचन्द्रके समयादिका विचार किया गया है। इस प्रस्तावनाका अधिकाश शरीर मिस्टर लेविस राइस आदि दूसरे विद्वानोके शब्दोसे बना हुआ है, जिन्हे लेखक महाशयने उक्त विद्वानोके ग्रथोसे ज्योका त्यो उद्धृत करके रक्खा है और स्थान-स्थान पर इस विपयकी सूचना देकर अपनी उदारताका परिचय दिया है। प्रस्तावनासे सम्बन्ध रखनेवाले