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ब्रह्मचारीजीकी विचित्र स्थिति और अजीव निर्णय ३२५
ग्रन्थोंके अनुसार गोरखपुरके जिलेमें कुशीनाराके पासका कोई ग्राम है, जिसका उल्लेख बुद्धचर्यामे भी कई जगह किया गया हैं' । ऐसी हालत मे ब्रह्मचारीजी क्या महावीरका निर्वाण स्थान वर्तमान पावापुरको नही मानते हैं ?
४ - सामगामसुतके किन शब्दोपरसे ब्रह्मचारीजी यह नतीजा निकालनेमे समर्थ हुए हैं कि " तब गौतम ७६-७७ वर्षके थे ?"
५ - ब्रहचारीजी मज्झिमनिकायके सामगामसुत्तको तो किस आधारपर प्रमाण मानते हैं और उसी मज्झिमनिकायके 'उपालिसुत्त' और 'अभयराजसुत्त' आदि उन दूसरे कई सूत्रोको क्यो प्रमाण नही मानते हैं, जिनका उल्लेख आपने हिन्दी मज्झिमनिकाय नामके अपने लेखमे किया है, जो बादको १० मई सन् १६३४ के जैनमित्रमे प्रकाशित हुआ है ? 'उपालिसुत्त' का तो 'सामगामसुत्त' के साथ खास सम्बन्ध भी बतलाया जाता है, जैसा कि 'बुद्धचर्या 'मे सामगामसुत्तका अनुवाद देते हुए 'अट्ठकहा' के आधारपर दिये हुए निम्न शब्दोसे प्रकट है
"यह नातपुत्त तो नालन्दावासी था वह कैसे क्यो पावामे मरा ? सत्यलाभी उपालि गृहपतिके दश गाथाओसे भाषित बुद्धगुणोको सुनकर उसने मुँहसे गर्म खून फेक दिया । तब अस्वस्थ ही उसे पावा ले गये । वह वही मरा । "
अत इस विषयका ब्रह्मचारीजीको अच्छा हृदयग्राही स्पष्टी - करण एव खुलासा करना चाहिये और साथ ही यह भी बतलाना चाहिये कि 'उपालिसुत्त' आदिके विषयमे जो उन्होने अपने
१ देखो 'सगीतिपरिमायसुत्त' और 'महापरिणिव्वाणसुत्त' आदि ।