________________
श्रीमद राजचन्द्र ___ व्यवहार धर्ममे दया मुख्य है । शेष चार महाव्रत भी दयाकी रक्षाके वास्ते है। दयाके आठ भेद हैं-१ द्रव्यदया, २ भावदया, ३ स्वदया, ४ परदया, ५ स्वरूपदया, ६ अनुबन्धदया, ७ व्यवहारदया, ८ निश्चयदया।
१ प्रथम द्रव्यदया-किसी भी कामको यत्नापूर्वक जीवरक्षा करके करना यह 'द्रव्यदया' है।
..२ दूसरी भावदया-दूसरे जीवको दुर्गतिमे जाते देखकर अनुकपाबुद्धिसे उपदेश देना यह 'भावदया' है।
। ३ तीसरी स्वदया-यह आत्मा अनादिकालसे मिथ्यात्वसे ग्रसित है, तत्त्वको नही पाता है, जिनाज्ञाको पाल नही सकता है, इस प्रकार चिन्तन करके धर्म मे प्रवेश करना यह 'स्वदया' है । । ४ चौथी परदया-छ.काय जीवकी रक्षा करना यह 'परदया' है।
५ पाँचवी स्वरूपदया-सूक्ष्म विवेकसे स्वरूपका विचार करना यह ‘स्वरूपदया' है।
६ छठी अनुबन्धदया- गुरु या शिक्षकका शिष्यको कड़वे वचनसे उपदेश देना, यह देखनेमे तो अयोग्य लगता है, परतु परिणाममे करुणाका कारण है, इसका नाम 'अनुवन्धदया' है।
७ सातवी व्यवहारदया-उपयोगपूर्वक और विधिपूर्वक दया पालनेका नाम 'व्यवहारदया' है।
८ आठवी निश्चयदया- शुद्ध साध्य उपयोगमे एकता भाव और अभेद उपयोगका होना यह 'निश्चयदया' है।
इन आठ प्रकारकी दयायुक्त व्यवहार धर्म भगवानने कहा है । इसमे सर्व जीवोका सुख, संतोष और अभयदान, ये सब विचारपूर्वक देखनेसे आ जाते है ।
दूसरा, निश्चयधर्म-अपने स्वरूपका भ्रम दूर करना, आत्माको आत्मभावसे पहचानना। 'यह ससार मेरा नही है, मै इससे भिन्न, परम असंग सिद्धसदृश शुद्ध आत्मा हूँ', ऐसी आत्मस्वभाववर्तना यह निश्चयधर्म है।
. जिसमे किसी प्राणीका दुख, अहित या असतोष रहा है वहाँ दया नही है, और जहाँ दया नही है वहाँ धर्म नही है । अर्हत भगवानके कहे हुए धर्मतत्त्वसे सर्व प्राणी अभय होते है। .
शिक्षापाठ १० : सद्गुरुतत्त्व--भाग १ पिता-पुत्र । तू जिस शालामे अभ्यास करने जाता है उस शालाका शिक्षक कौन है ? पुत्र-पिताजी । एक विद्वान और समझदार ब्राह्मण है। पिता-उसकी वाणी, चाल-चलन आदि कैसे है ?
- पुत्र-उनकी वाणी बहुत मधुर है । वे किसीको अविवेकसे नही बलाते और बहुत गभीर है। जब वोलते है तब मानो मुखसे फूल झडते है। वे किसीका अपमान नही करते, और हमे समझपूर्वक शिक्षा
देते हैं।
पिता-तू वहाँ किसलिये जाता है ? यह मुझे कह तो सही।
पुत्र-आप ऐसा क्यो कहते है, पिताजी ? ससारमे विचक्षण होनेके लिये युक्तियाँ समझू, व्यवहारनीति सीखू, इसीलिये तो आप मुझे वहाँ भेजते है।
पिता-तेरे ये शिक्षक दुराचारी अथवा ऐसे होते तो? __ पुत्र-तब तो बहुत बुरा होता । हमे अविवेक और कुवचन बोलना आता, व्यवहारनीति तो फिर सिखाता भी कौन ?