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प्रदेश समय
परमाणु
द्रव्य
गुण पर्याय
जड
चेतन
सव जीव सुखको चाहते हैं । दुःख सबको अप्रिय है |
श्रीमद् राजचन्द्र
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ॐ नमः
ॐ नमः मूल द्रव्य शाश्वत । मूल द्रव्य :-- जीव, अजीव
पर्याय : – अशाश्वत । अनादि नित्य पर्याय : मेरु आदि ।
ॐ नमः
दुःखसे मुक्त होना सब जीव चाहते हैं ।
उसका वास्तविक स्वरूप समझमें न आनेसे वह दु:ख नष्ट नहीं होता ।
उस दुःख के आत्यंतिक अभावका नाम मोक्ष कहते हैं । अत्यन्त वीतराग हुए बिना आत्यंतिक मोक्ष नहीं होता । सम्यग्ज्ञानके बिना वीतराग नहीं हुआ जा सकता । सम्यग्दर्शनके बिना ज्ञान असम्यक् कहा जाता है ।
[ संस्मरण-पोथी ३, पृष्ठ ११]
सम्यग्ज्ञानदर्शनसे प्रतीत हुए आत्मभावसे आचरण करना चारित्र है ।
इन तीनोंको एकतासे मोक्ष होता है।
जीव स्वाभाविक है । परमाणु स्वाभाविक है । जीव अनंत है ।
[संस्मरण-पोथी ३, पृष्ठ १३ ]
[ संस्मरण-पोथी ३, पृष्ठ १५ ]
वस्तुकी जिस स्वभावसे स्थिति है, उस स्वभावसे उस वस्तुकी स्थिति समझमें आना उसे सम्यग्ज्ञान कहते हैं ।
[ संस्मरण-पोयी ३, पृष्ठ १६]