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परिशिष्ट ६-विषयसूची
९२५ दृढता पर) ७५; °वसुराजा का (सत्य बोलने पर) ०को दुर्लभता-शिक्षित एव अशिक्षितके लिये १७४, ७६, सुभूम चक्रवर्तीका (परिग्रह मर्यादा) ७८, अन्त शोधनसे प्राप्य १८०, निग्रंन्य प्रणीत धर्म ०कच्छी वैश्योका (तत्त्व समझना) ७८, ०श्रेणिक- अनुपमेय १८३, ०के दो प्रकार-देश और सर्व २०७, के सामतोका (जीव दया) ८१, ०चडालचोरका
के उपदेशका पात्र कौन ? २१२, ही जिसका (विनयसे तत्त्वसिद्धि) ८३, ०सुदर्शन सेठका (ब्रह्म
अस्थि है २२६, ०कहाँ से श्रवण करना योग्य ? चर्य) ८३, गजसुकुमारका (क्षमा) ९१, गौतम
३५७, ०का मर्म ५६२, ०का स्वरूप वैराग्य १०१, गणधरका (राग) ९२, कपिलमुनिका (तृष्णा)
का द्रोह ६७३, ०प्राप्तिकी प्रथम भूमिका ७९१ ९३, ०घनाढ्यका (सुख सम्बन्धी विचार) १०४, धर्मकथा ६९६ भीलका (मोक्षसुख) ११४, षड्दर्शनपर ६९०, धर्मकथानुयोग १६७ ७६९ ०चार गोलोका (जीवके भेद) ६९३, लकडहारो- धर्मद्रव्य (धर्मास्तिकाय) ५१५-६, ६०१, ७७३, ८२५, का (जीवके चार प्रकार) ७०२, महावीर स्वामी ८३३
और सगम देवता ७०३, गौतमस्वामी और आनन्द धर्मद्रोह ६७३ श्रावक ७०४, जौहरीके लडकेका (सद्गुरु- धर्मध्यान ११५-७, १९०, ३११, ७१७ असद्गुरुकी परीक्षा) ७०५, मीराबाई और जीवा घमं सन्यास ७३६ गोसाई ७१५, नाभा भगत ७१५, सन्यासीका ध्यान १६०, २१२, ०करने योग्य १६४, ०कसे करना? (पचमकालके गुरुओपर) ७१६, मुनि और 'सिंह
१८६, सत्सग के बिना तरगरूप २२५, ०का ७१७, सच्चे भक्तका (भक्त तेल) ७३०; ०बोहरे
स्वरूप ३६२-३ का (बीजक मेरे पास है) ७४४
नय २६९, ७३८, ७६३ देह, मूर्छापात्र नही ३६९, ०क्षणभगर ४६८, त्याग- नरक का स्वरूप २४, ५३
के प्रसगमें खेद कर्तव्य नही ५०९, ०मे एक विशे- नवकारमत्र ८५ पता ६१५, ०का धर्म वेदना जानकर सम्यक् प्रकार- नवतत्त्व १२२-८, ५६९ से सहन करना ३८५, वेदनाकी मूर्ति ६६२; निकाचित कर्म ४०३ ।
की असाता अधिक कल्याणकारी ६५६, ०का नित्यनियम १००, ६८७ स्वरूप ७४१,७४५
निमित्तवासो जीव ४८५, को क्या कर्तव्य ? ४९० द्रव्य ५९२, ५९७, ७७८, ८२४: ०और गण ५९२. निरावरण ज्ञान ५०३
५९९, ०और पर्याय ५९७: के तीन अधिकार निरुपक्रम ७७८, ७८३ ५९२, के प्रकार ५२९; के सात भग ५९७,
निर्गन्य ७८२, गुरु ७०४, के धर्ममे श्रद्धा १८३ ०का लक्षण ५९७, के धर्म ७६३
निर्जरा ७११, ७५०, ७५८, ०भावना ५७, ०द्रव्य और द्रव्यअध्यात्मी ७१७
भाव ५९४, ०के भेद तथा क्रम ५९५, ०का मार्ग द्रव्य प्रकाश ५९२
६६५, कसे होती है ? ८६, ८०० द्रव्यानुयोग १६७, ६४३, ७६९
निर्वस परिणाम ४७८, ४८४, ६९५ द्वादश तप ५७
निर्वेद २२९,७२९ द्वादशानुप्रेक्षा १७, ३६, ७४
निवृत्ति, बोध ५०, ६६६-७, ०का फल ४१५, का द्वादशाग ५८९, ६५२, ७७८, ० के नाम १७५
___सर्वोत्कृष्ट उपाय ४४० द्वादशागी का अखण्ड सूत्र ४००
निश्चय धर्म ६६ धर्म २६९, ४५७, ७७५, ०का अस्तित्व ४, ०विषयक निश्च
निश्चय ध्यान ६४१ पद्य ३,१०; के भेद ६६/देखें मदमी के मत- निश्चय सम्यक्त्व ७५५ भद १०२-४, के मतभेद के मख्य कारण १७३; नीति ४०५, ०नियम २३६; वचन १३८-१६१