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२३ वो वर्ष
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पन्ना १९
उस परमात्माके अनुग्रहसे पुरुष वैराग्य विवेक आदि साधनसंपन्न होता है।
पन्ना २० इन साधनोसे युक्त ऐसा योग्य पुरुष सद्गुरुकी आज्ञाको समुत्थित करने योग्य है । पन्ना २१-२२ ये साधन जीवकी परमं योग्यता और यही परमात्माकी प्राप्तिका सर्वोत्तम उपाय हैं । पन्ना २३ सभी कुछ हरिरूप ही है । इसमे, फ़िर भेद कैसा? . ..
भेद है ही नहीं। सर्व आनन्दरूप ही है।
ब्राह्मी स्थिति । स्थापितो ब्रह्मवादो हि,
सर्व वेदातगोचरः। पन्ना २४ यह सब ब्रह्मरूप ही है, ब्रह्म ही है।
ऐसा हमारा दृढ निश्चय है। - -. . इसमे कोई भेद नही है, जो है वह सर्व ब्रह्म ही है। सर्वत्र ब्रह्म है, सर्वरूप ब्रह्म है । उसके सिवाय कुछ नही है। जीव ब्रह्म है, जड ब्रह्म है । हरि ब्रह्म है, हर ब्रह्म है। ब्रह्मा ब्रह्म है । ॐ ब्रह्म है । वाणी ब्रह्म है । गुण ब्रह्म है। 7 सत्त्व ब्रह्म है । रजो ब्रह्म है । तमो ब्रह्म है । पंचभूत ब्रह्म है। . 'आकांश ब्रह्म है। वायु ब्रह्म है । अग्निः ब्रह्म है। जल भी ब्रह्म है। ,
पृथ्वी भी ब्रह्म है । देव ब्रह्म है। मनुष्य ब्रह्म है। तिर्यच ब्रह्म है।
नरक ब्रह्म है। सर्व ब्रह्म है। अन्य नही है।. . . पन्ना २५ काल ब्रह्म है । कर्म ब्रह्म है । स्वभाव ब्रह्म है । नियति ब्रह्म है।
ज्ञान ब्रह्म है । ध्यान ब्रह्म है। जप ब्रह्म है । तप ब्रह्म है । सर्व ब्रह्म है। नाम ब्रह्म है । रूप ब्रह्म है । शब्द ब्रह्म है । स्पर्श ब्रह्म है। रस ब्रह्म है। गध ब्रह्म है । सर्व ब्रह्म है। - - ऊँचे नीचे तिरछे सर्व ब्रह्म है। एक ब्रह्म है । अनेक ब्रह्म हैं। ब्रह्म एक है, अनेक भासित होता है।
सर्व ब्रह्म है।
सर्व ब्रह्म है। सर्व ब्रह्म है।
ॐ शाति शातिः शातिः। सर्व ब्रह्म है, इसमे सशय नही । मै ब्रह्म, तू ब्रह्म, वह ब्रह्म इसमे सशय नही।
पन्ना २६