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२४ वॉ वर्ष
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दूसरे भाइयोको भी, जिसके पाससे धर्मं प्राप्त करना हो उस पुरुषके धर्मप्राप्त होनेकी पूर्ण परीक्ष करनी चाहिये, यह संतकी समझने जैसी बात है ।
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वि० रायचदके यथायोग्य
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बंबई, कार्तिक, १९४७
उपशम भाव
सोलह भावनाओसे भूषित होनेपर भी स्वयं जहाँ सर्वोत्कृष्ट माना गया है वहाँ दूसरे की उत्कृष्टताके कारण अपनी न्यूनता होती हो और कुछ मत्सरभाव आकर चला जाये तो उसे उपशम भाव था, क्षायिक न था, यह नियम है।
बबई, मगसिर सुदी ४, सोम, १९४७
परम पूज्यश्री,
कलके पत्र सहज व्यवहारचिता बतायी थी, उसके लिये सर्वथा निर्भय रहना । रोम रोममें भक्ति तो यही है कि ऐसी दशा आनेपर अधिक प्रसन्न रहना । मात्र दूसरे जीवोंके दिल दुखानेका कारण आत्म हो वहाँ चिता सहज करना । दृढज्ञानकी प्राप्तिका यही लक्षण है ।
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'मुनिको समझानेकी माथापच्चीमे आप न पड़ें तो अच्छा। जिसे परमेश्वर भटकने देना चाहता है। उसे निष्कारण भटकनेसे रोकना यह ईश्वरीय नियमका भंग करना किसलिये न माना जाये ?
रोम रोममे खुमारी आयेगी, अमरवरमय ही आत्मदृष्टि हो जायेगी, एक 'तू ही तू हो' का मनन करने का अवकाश भी नही रहेगा, तब आपको अमरवरके आनन्दका अनुभव होगा ।
यहाँ यही दशा है । राम हृदयमे बसे हैं, अनादिके (आवरण) दूर हुए हैं। सुरति इत्यादिक खिले हैं । यह भी एक वाक्यको बेगार की है। अभी तो भाग जानेकी वृत्ति है । इस शब्दका अर्थं भिन्न होता है
नीचे एक वाक्यको तनिक स्याद्वादमे घटाया है
"इस कालमे कोई मोक्ष जाता ही नही है ।"
"इस कालमे कोई इस क्षेत्रसे मोक्ष जाता ही नही है ।"
" इस कालमे कोई इस कालकाजन्मा हुआ इस क्षेत्रसे मोक्ष जाता ही नही है ।"
" इस कालमे कोई इस कालका जन्मा हुआ सर्वथा मुक्त नही होता ।"
" इस कालमे कोई इस कालका जन्मा हुआ सब कर्मोसे सर्वथा मुक्त नही होता ।"
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अब इसपर तनिक विचार करें। पहले एक व्यक्ति बोला कि इस कालमे कोई मोक्ष जाता ही नही है । ज्यो ही यह वाक्य निकला कि शका हुई- इस कालमे क्या महाविदेहसे मोक्षमे जाता ही नही है वहाँसे तो जाता है, इसलिये फिर वाक्य बोलो । तब दूसरी बार कहा, इस कालमे कोई इस क्षेत्रसे मोक्षमे नही जाता । तब प्रश्न किया कि जब सुधर्मास्वामी इत्यादि कैसे गये ? वह भी तो यही काल था, इसलिये फिर वह व्यक्ति विचार करके बोला- इस कालमे कोई इस कालका जन्मा हुआ इस क्षेत्र से मोक्षमे नही जाता । तब प्रश्न किया कि किसीका मिथ्यात्व जाता होगा या नही ? उत्तर दिया, हाँ जाता है । तब फिर कहा कि यदि मिथ्यात्व जाता है तो मिथ्यात्वके जानेसे मोक्ष हुआ कहा जाये या नही ? तव उसने हाँ कहो कि ऐसा तो होता है । तब कहा - ऐसा नही परन्तु ऐसा होगा कि इस कालमे कोई इस कालका जन्मा हुआ सब कर्मोंसे मुक्त नही होता ।
१ मुनि दीपचन्दजी | २ परमात्ममय