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३० वो वर्ष
६२१ - ७९५ " बबई, श्रावण वदी ८, शुक्र, १९५३ शुभेच्छासपन्न श्री मनसुख पुरुपोत्तम आदि, श्री खेडा।
पत्र मिला है।
आपकी तरफ विचरनेवाले मुनि श्रीमान लल्लुजी आदिको नमस्कार प्राप्त हो । मुनि श्री देवकीर्णजीके प्रश्न मिले थे। उन्हे विनयसहित विदित कीजियेगा कि 'मोक्षमार्गप्रकाश' पढनेसे उन प्रश्नोंका बहुतसा समाधान हो जायेगा और विशेष स्पष्टता समागमके अवसरपर होना योग्य है।
पारमार्थिक करुणाबुद्धिसे निष्पक्षतासे कल्याणके साधनके उपदेष्टा पुरुषका समागम, उसकी उपासना और आज्ञाका आराधन कर्तव्य है। ऐसे समागमके वियोगमे सत्शास्त्रका यथामति परिचय रखकर सदाचारसे प्रवृत्ति करना योग्य है । यही विनती । ॐ
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, बंबई, श्रावण वदी ८, शुक्र, १९५३ 'मोहमुद्गर' और 'मणिरत्नमाला' ये दो पुस्तकें पढनेका अभी अभ्यास रखें। इन दो पुस्तकोमे मोहके स्वरूपके तथा आत्मसाधनके कितने ही उत्तम प्रकार बताये है।
बबई, श्रावण वदी ८, शुक्र, १९५३
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पत्र मिला है। . श्री डुंगरकी दशा लिखी सो जानी है। श्री सोभागके वियोगसे उन्हे सबसे ज्यादा खेद होना योग्य हैं। एक बलवान सत्समागमका योग चला जानेसे आत्मा के अतःकरणमे बलवान खेद होना योग्य है।
आप, लहेराभाई, मगन आदि सभी मुमुक्षु निरतर सत्शास्त्रका परिचय रखना न चूकें। आप कोई कोई प्रश्न यहाँ लिखते है, उसका उत्तर लिखना अभी प्राय नही बन पाता, इसलिये किसी भी विकल्पमे न पडते हुए, अनुक्रमसे वह उत्तर मिल जायेगा यह विचार करना योग्य है।
थोडे दिनोके बाद प्राय. श्री डुगरको पढनेके लिये एक पुस्तक भेजी जायेगी ताकि उन्हे निवृत्तिकी प्रधानता रहे । यहाँसे मणिलालको राधनपुर एक चिट्ठी लिखी थी।
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ववई, श्रावण वदी १०, रवि, १९५३ जिन जिज्ञासुओको 'मोक्षमार्गप्रकाश' का श्रवण करनेकी अभिलाषा है, उन्हे श्रवण करायें। अधिक स्पष्टीकरणसे और धीरजसे श्रवण करायें। श्रोताको किसी एक स्थानपर विशेष संशय हो तो उसका समाधान करना योग्य है। किसी एक स्थानपर समाधान अशक्य जैसा मालूम हो तो किसी महात्माके योगसे समझनेके लिये कहकर श्रवणको न रोकें, तथा उस सशयको किसी महात्माके सिवाय अन्य किसी स्थानमे पूछनेसे वह विशेष भ्रमका हेतु होगा, और नि-सशयतासे श्रवण किये हुए श्रवणका लाभ वृथासा होगा, ऐसी दृष्टि श्रोताकी हो तो अधिक हितकारी होगा।
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ववई, श्रावण वदी १२, १९५३
सर्वोत्कृष्ट भूमिकामे स्थिति होने तक, श्रुतज्ञानका अवलवन लेकर सत्पुरुप भी स्वदशामे स्थिर रह सकते है, ऐसा जिनेद्रका अभिमत है, वह प्रत्यक्ष सत्य दिखायी देता है।