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श्रीमद राजचन्द्र
इत्यादि बातोकी चर्चा प्रसंगानुसार करें। एक एक बातका कोई निर्णायक उत्तर उनकी तरफसे मिलने पर दूसरे प्रसगपर दूसरी बातकी चर्चा करें ।
खीमजीमे कुछ समझने की शक्ति ठीक है, परन्तु योग्यता रेवाशकरकी विशेष है । योग्यता ज्ञानप्राप्ति के लिये अति बलवान कारण है ।
उपर्युक्त वातोमेसे आपको जो सुगम लगे वे पूछें । एककी भी सुगमता न हो तो एक भी न पूछें, तथा इन वातोका प्रेरक कौन है ? यह मत बताना ।
खभातसे श्री त्रिभोवनदासकी यहाँ आनेकी इच्छा रहती है, तो इस इच्छामे में सम्मत हूँ । आप उन्हे रतलामसे पत्र लिखे तो आपकी बबईमे जब स्थिति हो, तब उन्हे आने की अनुकूलता हो तो आनेमे मेरी सम्मति है, ऐसा लिखियेगा ।
आप कोई मुझसे मिलने आये हैं, यह बात खोमजी आदिसे भी न कहना । यहाँ आनेका कोई व्यावहारिक कारण हो तो उसे अवश्य खीमजी से कहना ।
यह सब लिखना पडता है इसका उद्देश मात्र यह एक प्रवृत्तियोग है । ईश्वरेच्छा बलवान है, और सुखदायक है ।
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यह पत्र वारवार मनन करने योग्य है ।
दारवार मनमे यह उठता है कि क्या अवध वधनयुक्त हो सकता है? आप क्या मानते है ?
वि० रायचन्दके प्रणाम ।
बबई, चैत्र वदी २, शनि, १९४७
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“परेच्छानुचारीको शव्दभेद नही है ।" इस वाक्यका अर्थं समागम मे पूछिये । परम समाधिरूप ज्ञानीको दशाको नमस्कार ।
सुज्ञ भाई त्रिभोवन,
वि० रायचदके प्रणाम ।
बबई, चैत्र वदी ३, रवि, १९४७
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उस पूर्णपदकी ज्ञानी परम प्रेमसे उपासना करते हैं ।
चारेक दिन पहले आपका पत्र मिला । परम स्वरूपके अनुग्रहसे यहाँ समाधि है | आपकी इच्छा सद्वृत्तियोकी प्राप्तिके लिये रहती है, यह पढकर वारवार आनद होता है ।
चित्तकी सरलता, वैराग्य और 'सत्' प्राप्त होनेकी अभिलापा - ये प्राप्त होने परम दुर्लभ है, और उनकी प्राप्ति के लिये परम कारणरूप सत्सगका प्राप्त होना तो परम परम दुर्लभ है । महान पुरुपोने इस कालको कठिन काल कहा है, उसका मुख्य कारण तो यह है कि जीवको सत्सगका योग मिलना बहुत कठिन है, और ऐसा होनेसे कालको भी कठिन कहा है । मायामय अग्निसे चौदह राजूलोक प्रज्वलित है । उस मायामे जीवको वुद्धि अनुरक्त हो रही है, और इस कारणसे जीव भी उस त्रिविध ताप-अग्निसे जला करता है, उसके लिये परम कारुण्यमूर्तिका उपदेश ही परम शीतल जल है, तथापि जीवको चारो ओरसे अपूर्ण पुण्यके कारण उसकी प्राप्ति होना दुर्लभ हो गया है । परन्तु इसी वस्तुका चिंतन रखना । 'सत्' मे प्रीति, 'सत्' रूप सतमे परम भक्ति, उसके मार्गकी अभिलाषा, यही निरतर स्मरण करने योग्य हैं । उनका स्मरण रहनेमे वैराग्य आदि चरित्रवाली उपयोगी पुस्तकें, वैरागी एव सरल चित्तवाले मनुष्योकासग और अपनी चित्तशुद्धि, ये सुन्दर कारण है । इन्हीकी प्राप्तिकी रटन रखना कल्याणकारक है । यहा समाधि है ।