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२८ वॉ वर्ष जिन पुरुषोने वस्त्र जैसे शरीरसे भिन्न है, वैसे आत्मासे शरीर भिन्न है, ऐसा देखा है, वे पुरुष धन्य हैं।
दूसरेकी वस्तुका अपनेसे ग्रहण हुआ हो, जब यह मालूम हो कि वह दूसरेकी है, तब उसे दे देनेका ही कार्य महात्मा पुरुष करते हैं।
दुषमकाल है इसमे सशय नही है । राथारूप परमज्ञानी आप्तपुरुषका प्राय विरह है।
विरले जीव सम्यग्दृष्टि प्राप्त करें, ऐसी कालस्थिति हो गयी है। जहाँ सहजसिद्ध आत्मचारित्रदशा रहती है ऐसा केवलज्ञान प्राप्त करना कठिन है, इसमे सशय नही है।
प्रवृत्ति विराम पाती नही, विरक्ति बहुत रहती है।
वनमे अथवा एकातमे सहजस्वरूपका अनुभव करता हुआ आत्मा सर्वथा निविषय रहे ऐसा करनेमे सारी इच्छाएँ लगी है।
५९३ ___ बबई, वैशाख सुदी १५, वुध, १९५१ आत्मा अत्यन्त सहज स्वस्थता प्राप्त करे यही श्री सर्वज्ञने सर्व ज्ञानका सार कहा है।
अनादिकालसे जीवने निरन्तर अस्वस्थताकी आराधना की है, जिससे स्वस्थताकी ओर आना उसे दुर्गम लगता है। श्री जिनेंद्रने ऐसा कहा है कि यथाप्रवृत्तिकरण तक जीव अनत बार आया है, परतु जिस समय ग्रथिभेद होने तक आना होता है तब क्षोभयुक्त होकर फिरसे ससारपरिणामी होता रहा है। ग्रथिभेद होनेमे जो वीर्यगति चाहिये, उसके होनेके लिये जीवको नित्यप्रति सत्समागम, सद्विचार और सद्ग्रथका परिचय निरतररूपसे करना श्रेयभूत है।
इस देहकी आयु प्रत्यक्ष उपाधियोगमे व्यतीत होती जा रही है। इसके लिये अत्यत शोक होता है. और उसका यदि अल्पकालमे उपाय न किया तो हम जैसे अविचारी भी थोडे समझना । जिस ज्ञानसे कामका नाश होता है उस ज्ञानको अत्यन्त भक्तिसे नमस्कार हो।
आ० स्व० यथा०
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बवई, वैशाख सुदो १५, बुध, १९५१ सर्वकी अपेक्षा जिसमे अधिक स्नेह रहा करता है, ऐसी यह काया रोग, जरा आदिसे स्वात्माको ही दुखरूप हो जाती है, तो फिर उससे दूर ऐसे धनादिसे जीवको तथारूप (यथायोग्य) सुखवत्ति हो ऐसा मानते हुए विचारवानकी बुद्धि अवश्य क्षोभको प्राप्त होनी चाहिये, और किसी अन्य विचारमे लगनी चाहिये, ऐसा ज्ञानीपुरुषोने निर्णय किया है, वह यथातथ्य है।
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ववई, वैशाख वदो ७, गुरु, १९५१ वेदात आदिमे जो आत्मस्वरूपकी विचारणा कही है, उस विचारणाकी अपेक्षा श्री जिनागममे जो आत्मस्वरूपकी विचारणा कही है, उसमे भेद आता है। सर्व विचारणाका फल आत्माका सहजस्वभावमे परिणमित होना ही है। सम्पूर्ण रागद्वेषके क्षयके विना सम्पूर्ण आत्मज्ञान प्रगट नही होता ऐसा निश्चय जिनेद्रने कहा है, वह वेदात आदिकी अपेक्षा बलवान प्रमाणभूत है।