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( ५५३ ) , वैनपुरुषो-जैन धर्म ने अहिंसा धर्म कासेतु, रामेश्वर से लेकर विंध्याचल पर्वत पर्यन्त तोपचार किया हो था, किन्तु अन्य देशों में भी हिंसा धर्म का नाद बनाया-समय की विचित्रता है कि अब यह पवित्र धर्म का-मंचार स्वल्प-हेने के कारण वे केवल-गुजगत (जर) पारवाड़, मालवा अच्छ, पंजाब, आदि देशों मही यह धर्म रह गया है किन्तु इम धर्म के अमूल्य सिद्धान्त विद्वानों के स्वन्म होने के कारण से -छिरे पड़े
___ विद्वान् वर्ग को योग्य है कि सर के हितैषी भाव को अवलम्बन करके इस पवित्र जैर धर्म के अहिंस, धर्म का प्रचार करना चाहियो जिसके द्वारा अनंत अत्यामों के प्राणों की रक्षा हो जाये । परन्तु यह प्रभार तर हो सकता है जब परस्पर सम्य (प्रेम) हाँ-जहाँ प्रेम भाव रहता है वहां पर हर एक प्रकार की सम्पदाएं मिल जाती हैं जैसे डि
. किसी नगर में एक शेठ रहता था वे बढ़ा लक्ष्मी पात्र था एक समय भी दाव है कि-वह रात्रि के सपर्य, सोया पदात्या उसको लक्ष्मी देवा ने दर्शन देकर फी किं