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अनसम्प्रवामशिक्षा ॥ ५-कान्तिहानिस रोग में शरीर के क्षेत्र का नाश होता है। ५-फण्ठशोप--स रोग में कण्ठ (गठा) मूस जाता है। ७-मुम्बशोप-इस रोग में मुँह में शोप हो जाता है। ८-अल्पशुक्रता-इस रोग में धातु (वीर्य) फम हो जाचारे । ९-सिक्कास्पता-इस रोग में मुंह फामा रहता है। १०-अम्लयमस्वस रोग में मुँह सता रहता है। ११-स्पेदस्राय-इस रोग में पसीना पहुत भावा है। १२-अङ्गपाफ-इस रोग में शरीर पक जाता है। १३-सम-पस रोग में म्गनि सभा भवधि (फमनोरी ) रहती है। १५-हरितवर्णस्य-इस रोग में सरीर का रंग हरा वीससा है। १५-अवाप्ति-स रोग में भोजन करने पर भी वृप्ति नहीं होती है। १६-पीतफायताइस रोग में शरीर का रंग पीला दीसता है। १७-रगनाप-इस रोग में शरीर के किसी सान से स्पून गिरवा दे। १८-अनावरण-इस रोग में शरीर पी चमड़ी फटती है । १९-लोहगन्धास्पता-स रोग में मुँह में से गेह फे समान गन्ध भावी है। २०-दीर्गन्य-इस रोग में हसबा घरीर से दुर्गन्ध निकलती है। २१-पतिमूग्रस्यइस रोग में पेठान पीम उतरता है। २२-अरति-स रोग में पदार्थ पर भप्रीति रती है। २३-पित्तपिट्फता-इस रोग में वख पीग भासा है। २५-पीतायतोफन-इस राग में भासों से पीम पीसतारे। २५-पीतनेसास रोग में भासें पीरी हो जापी है। २६-पीतदन्तप्ता--स रोग में बाँस पीसे हो जाते हैं। २७-शीच्ण -इस रोग में ठरे पदार्थ की बाम रखी है। २८-पीसनभ्यता-इस रोग में नस पीसे क्षे जाते हैं। २०-सजोयेप-स रोग में सूप भादिपवेन सहा नहीं पाता। ३०-अल्पनिव्रता-इस रोग में नाद धोनी भावी है। ११-फोप- इस रोग में मोष (गुस्सा) बासा । २२-गाप्रसाद-इस रोग में शरीर में पीग होती है। १३-भिप्तपिट्फरप-स रोग में मस्त परण भाता है। ३५-भन्यता--इस रोग में बात से नदी दीसतार। ३५-उष्णागासस्प-प रोग में भाप गर्म निभाता है।