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अनसम्प्रदायविधा। (पिछम भमान भीतरी) भाग में मह रांग आता र स्यां २ रसी पिप निकली? भोर यमी (पेठ) माग में मार (मौन) सा प्रतीत (मास) दाय मिर पीरा विप टोती, कभी २ सिम के अंदर भी चाँदी पर बाती मोर उस में म रसी निष्लती परन्तु उसे सुनाम का राग नही समझना चाहिय, पानी पाप नाम से होती है और यह मुम पर दीदीमती, परन्तु जन भीतरी भाग में ही है सब इन्दिर का माग कटिन भार, गीला सा प्रतीत (मामा) हाठा है।
सुनाम कार को हुए ये पनि चिद वन से पन्द्रह दिन तक रह रमन (नरम ) पर गनेरगी फम भोर पतली हो जाती है तथा पीठी मदक (मार में) पन्न रंगी भान माती, जमन भोर निनग कम आबादी तमा भामिरभर यि पर बन जाती है, सापय यह वि-दा तीन हटा में रसी विसर पर हार मुत्राम मिट बाठा, परन्तु जब सफेद रसी भाडा २ भाग का महीना निकाय सदमा ३ सप उसका मान प्रमेद (पुराना सुबाम) है, इस पुराने मुबास मिटना महत दिन (मुसिळ) नासामधान दा चार मास मात्र (२)मा गहत, पिन कुछ गम पदार माने में मात्रामा ताहीर मारमा परन मगमा भभात पुन सुनाम हो जाता सुवास पुराना जान भीम दी दस में मे पहा अमाम् मूगार उत्पन्न हा बाठी भोर पहनना। देवी किरागी भार व उस परम ग्रन हो तेसमा मह निम्मित (निमय श्री मान है कि पुराने सुनाम म प्राय म्यासछादी गाना।
भी सवाम ग्राम पर भी छा बानी पानी २ सवाम पारप इन्द्रिय पर मस्मा भी दानाका इन्तिम पसराव वाठारभार उस पार र
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