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गर्म पाना ने मुजाख के
के सुजा
चतुर्थ अध्याय ॥
५६७ गर्म पानी की पिचकारी को लगाकर फिर दवा की पिचकारी के लगाने से जल्दी फायदा होता है, पुराने सुजाख के लिये तो पिचकारी का लगाना अत्यावश्यक समझा गया है ।
स्त्री के सुजाख का वर्णन ॥ पुरुष के समान स्त्री के भी सुजाख होता है अर्थात् सुजाख वाले पुरुष के साथ व्यभिचार । __करने के बाद पाच सात दिन के भीतर स्त्री के यह रोग प्रकट हो जाता है। ___ इस की उत्पत्ति के पूर्व ये चिह्न दीख पड़ते हैं कि-प्रथम अचानक पेडू में दर्द होता है, वमन (उलटी) होता, है, पेट में दर्द होता है, अन्न अच्छा नहीं लगता है, किसी २ के ज्वर भी हो जाता है, दस्त साफ नहीं होता है तथा किसी २ के पेशाब जलती हुई उतरती है इत्यादि, ये चिह्न पाच सात दिन तक रह कर शान्त हो (मिट) जाते है तथा इन के शान्त हो जाने पर स्त्री को यद्यपि विशेप तकलीफ नहीं मालूम होती है परन्तु जो कोई पुरुष उस के पास जाता है ( उस से संसर्ग करता है) उस को इस रोग की प्रसादी के मिलने का द्वार खुला रहता है । स्त्री के जो सुजाख होता है वह प्रदर से उपलक्षित होता है ( जानलिया जाता है)।
सुजाख प्रथम स्त्री की योनि में होता है और वह पीछे बढ़ जाता है अर्थात् बढ़ते २ वह मूत्रमार्ग तक पहुंचता है, इस लिये जिस प्रकार पुरुष के प्रथम से ही कठिन चिह्न होते हैं उस प्रकार स्त्री के नहीं होते हैं, क्योंकि स्त्री का मूत्रमार्ग पुरुष की अपेक्षा बड़ा होता है, इसी लिये इस रोग में स्त्रीको कोपेवा तथा चन्दन का तेल इत्यादि दवा की विशेष आवश्यकता नहीं होती है किन्तु उस के लिये तो इतना ही करना काफी होता है कि उस को प्रथम त्रिफले का जुलाब तीन दिन तक देना चाहिये, फिर महीना वा बीस दिन तक साधारण खुराक देनी चाहिये तथा पिचकारी लगाना चाहिये, क्योंकि स्त्री के लिये पिचकारी की चिकित्सा विशेष फायदेमन्द होती है ।
देशी वैद्य इस रोग में स्त्री को प्राय बग भी दिया करते हैं।
सुचना-इस वर्तमान समय में चारो तरफ दृष्टि फैला कर देखने से विदित होता है कि इस दुष्ट सुजाख रोग से वर्तमान में कोई ही पुण्यवान् पुरुष बचे हैं नहीं तो प्रायः यह रोग सब ही को थोड़ा बहुत कष्ट पहुँचाता है। __इस रोग के होने से भी गर्मी के रोग के समान खून में विकार (विगाड़) हो जाता है, इस लिये खून को साफ करनेवाली दवा का महीने वा बीस दिन तक अवश्य सेवन करना चाहिये। ___ यह रोग भी गर्मी के समान वारसा में उतरता है अर्थात् यह रोग यदि माता पिता के हो तो पुत्र के भी हो जाता है।