Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 05
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Shivprasad Amarnath Jain

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Page 756
________________ ૨૨ चैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ इतिहास के अवसोकन से पिवित होता है कि-बैनापार्य भी हेमचन्द्र सूरि नी सा वादा साहिस भी जिनदत परि जी आदि अनेक चैनाचार्य इस विपा के पूरे बम्बासी मे, इस फे मतिरिक-पोडी घतान्दी के पूर्ष आनन्दपन बी महाराम, विवानन्द (कपूरचन्द ) मी महाराज तथा शानसार ( नारायण जी महारान आदि परे २ अध्यात्म पुरुप हो गये है पिन फे बनाये हुए मन्त्रों देसने से निदिस होता है किमात्मा के फरत्याग कम्येि पूर्व काल में साधु लोग योगाभ्यास का सून पर्चान परते थे, परन्तु मम सो कई कारणों से पा म्यबहार नहीं वेसा माता है, पयोधि-मबम वा अनेक कारणों से शरीर की कि फम हो गई है, पूसरे-धर्म मा अदा घटने कमी है, तीसरे-साधु लोग पुसकादि परिमह के कहे करने में भौर अपनी मानमहिमा में ही साधुस्व ( साघुपन ) समझने को है, पौगे-सोम ने भी कुछ २ उन पर मफ्ना पजा फेला दिया है, कहिये मम सरोदयज्ञान का झगड़ा फिसे अच्छा लगे कि यह कार्य वो लोमरहित सभा भास्मशानियों का है किन्तु यह कह देने में भी भस्थति न होगी कि मुनियों के भास्मकस्माण का मुख्य मार्ग यही है, भन मह दूसरी पाता विरे ( मुनि ) अपने पास्मकल्याण का मार्ग छोड़ कर भज्ञान सांसारिक जनों पर मपन योग के द्वारा ही अपने साधुत्व को प्रकट करें । ___माणायाम योग की वश ममि है, गिन में से पहिली भूमि ( मज) सरोदवसान ही है, इस के अभ्यास के द्वारा बरे २ गुप भेदों' को मनुष्य सुगमतापूर्वक ही बान सकते हैं तथा मास से रोगों की भोपभि भी कर सकते हैं। स्वरोदय पद का सम्वा श्वास का निकाम्ना है, इसी सिमे इस में केजर भास की पहिचान की जाती है और नाकपर हाभ के रखतेपी गुप्त पाने का रास चिप सामने भा यावा हे समा भनेक सिद्धिया उत्पम होती हैं परन्तु या ए निमम हा इस विधा का अभ्यास ठीक रीति से गदसों से नहीं हो सकता है, क्योंकि मबम वा पह विपर भति कठिन है अर्थात् इस में अनेक सापनों की मावश्मकता होती है, पर इस पिपा केमो प्रन्म हैं उन में इस विपय का अवि कठिनता के साथ तमा भवित क्षेप से वर्णन किया गया हैबो सर्व साधारण की समझ में नहीं आ सकता है। वासर इस विपा के ठीक रीति से मानने वाले वमा दूसरों को सुगमता के साम भन्मास । सपने पाले पुरुप पिरछे ही सानों में से माते हैं, फेवल यही कारण कि माम: में इस विधा के मम्यास करने की इच्छा वाले पुरुप उस में मच हो कर गम हान । १-मोमाम्पस प्र विशेष वर्गम रेम्प होतो माग गोम एस वपा बोषवार भान प्रमाको देना चाहिप १-हिमे ए एसों मासानी से ४-वजारका ५-आगामी -स्सर वा म्मा हुमा म

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