Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 05
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Shivprasad Amarnath Jain

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Page 770
________________ ७३६ चैनसम्प्रदानशिक्षा || २४ - मदि सोलह प्रहर तक सूर्य स्वर ही चलता रहे ( चन्द्र स्वर आगे ही नहीं तो दो वर्ष में मृत्यु बाननी चाहिये । ३५ - यदि जाननी चाहिये । तीन दिन तक एक सा सूर्य स्वर ही चलता रहे तो एक वर्ष में ३६--यदि सोलह दिन तक बराबर सूर्यवर ही चलता रहे तो एक महीने में मृत्यु जाननी चाहिये । ३७- यदि एक महीने तक सूर्य स्वर निरन्तर भक्ता रहे तो वो दिन की भायु जाननी चाहिये । ३८ - मवि सूर्य, चन्द्र और सुखमना, ये तीनों ही खर न घले भर्षात् मुख से श्वास बेना पड़े तो घार घड़ी में मृत्यु माननी चाहिये । ३९-यदि दिन में ( सब दिन ) मन्त्र स्वर के तथा रात में ( रात भर ) सूबे पर से तो बड़ी मायु जाननी चाहिये । सूर्य स्वर और रात में ( रास मर ) बराबर चन्द्र जाननी चाहिये । ४१ - यदि चार मठ, बारह, सोलह अथवा बीस दिन रात बराबर चन्द्र सर चलता रहे तो बड़ी आयु बाननी चाहिये । 0 ४० - यदि दिन में (चिन भर ) स्वर चलता रहे वो छा महीने की आयु ४२ - यदि सीन रात दिन तक सुखमना स्वर चलता रहे तो एक वर्ष की आयु जाननी पाहिये । ४३ - पवि चार दिन तक बराबर सुखमना स्वर चलवा रहे तो छः महीने की बाउ जाननी चाहिये | स्वरों के द्वारा गर्नसम्बन्धी प्रश्न - विचार ॥ १–यदि चन्द्र स्वर ला हो तथा उधर से ही भा कर कोई प्रभ करे कि - गर्भगळी स्त्री के पुत्र होगा या पुत्री, तो फड़ देना चाहिये कि पुत्री होगी । २- यदि सूर्य र चता हो तथा उपर से ही भा कर कोई प्रश्न करे फि गर्भवती स्त्री के पुत्र होगा या पुत्री, सो कह देना चाहिये कि पुत्र होगा । ३-पदि सुखमना सर के चलते समय कोई मा फर मन करे कि गर्भवती स्त्री के पुत्र होगा या पुत्री, तो कह देना चाहिये कि नपुंसक होगा । 8- यदि अपना सूर्य स्वर भन्या हो तथा उधर से ही भा कर कोई गर्भविषयक प्रभ १ इन छ धिक्ानयिक अमान के अनुसार तथा अनुभवधिद्ध कुछ बारों कीये अध्यान में किया शुकदे

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