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पञ्चम अध्याय ॥
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१४- यदि मैना सामने बोले तो कलह, दाहिनी तरफ बोले तो लाभ और सुख, बाई तरफ बोले तो अशुभ तथा पीठ पीछे बोले तो मित्रसमागम होता है ।
१५ - ग्राम को चलते समय यदि बगुला बायें पैर को ऊँचा ( ऊपर को ) उठाये हुए तथा दाहिने पैर के सहारे खड़ा हुआ दीख पडे तो लक्ष्मी का लाभ होता है ।
१६ - यदि प्रसन्न हुआ बगुला बोलता हुआ दीखे, अथवा ऊँचा ( ऊपर को ) उडता हुआ दीखे तो कन्या और द्रव्य का लाभ तथा सन्तोप होता है और यदि वह भयभीत होकर उडता हुआ दीखे तो भय उत्पन्न होता है ।
१७- ग्राम को जाते समय यदि बहुत से चकवे मिले हुए बैठे दीखें तो बड़ा लाभ और सन्तोप होता है तथा यदि भयभीत हो कर उड़ते हुए दीखें तो भय उत्पन्न होता है ।
१८- यदि सारस बाईं तरफ दीखे तो महासुख, लाभ और सन्तोष होता है, यदि एक एक बैठा हुआ दीखे तो मित्रसमागम होता है, यदि सामने बोलता हुआ दीखे तो राजा की कृपा होती है तथा यदि जोड़े के सहित बोलता हुआ दीखे तो स्त्री का लाभ होता है परन्तु दाहिनी तरफ सारस का मिलना निषिद्ध होता है ।
१९ - ग्राम को जाते समय यदि टिट्टिभी ( टिंटोड़ी ) सामने बोले तो कार्य की सिद्धि होती है तथा यदि बाईं तरफ बोले तो निकृष्ट फल होता है ।
२०-जाते समय यदि जलकुक्कुटी ( जलमुर्गाबी ) जल में बोलती हो तो उत्तम फल होता है तथा यदि जल के बाहर बोलती हो तो निकृष्ट फल होता है ।
२१- ग्राम को चलते समय यदि मोर एक शब्द बोले तो लाभ, दो वार बोले तो स्त्री का लाभ, तीन वार वोले तो द्रव्य का लाभ, चार वार बोले तो राजा की कृपा तथा पाँच वार बोले तो कल्याण होता है, यदि नाचता हुआ मोर दीखे तो उत्साह उत्पन्न होता है नथा यह मंगलकारी और अधिक लाभदायक होता है ।
२२-गमन के समय यदि समली आहार के सहित वृक्ष के ऊपर बड़ा लाभ होता है, यदि आहार के विना बैठी हो तो गमन निष्फल तरफ बोलती हो तो उत्तम फल होता है तथा यदि दाहिनी तरफ फल नही होता है ।
२३–ग्राम को चलते समय यदि घुग्घू वांई तरफ बोलता हो तो उत्तम फल होता है, यदि दाहिनी तरफ बोलता हो तो भय उत्पन्न होता है, यदि पीठ पीछे बोलता हो तो वैरी वश में होता है, यदि सामने बोलता हो तो भय उत्पन्न होता है, यदि अधिक शब्द
बैठी हुई दीखे तो
होता है, यदि बाई बोलती हो तो उत्तम
१- बुरा अर्थात् फल का सूचक । २ - 'एक शब्द,' अर्थात् एक वार ।
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