Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 05
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Shivprasad Amarnath Jain

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Page 782
________________ ७१८ मैनसम्प्रदायशिमा ॥ काम प्रारम्भ करेगा वह सम सिद्ध होगा, इस बात की सस्यता सम प्रमावरे -ितू सम में गाय, षोड़ा और हाथी भादि को देखेगा। - ३१३-ने पूछने वाले! तेरे मन में धन की चिन्ता है और सू कुछ विछा नरम है, तेरे दुश्मन ने मुझे दमा रस्सा, मेरा मित्र भी तेरी सहायता नहीं करता है, तू सत्र नता को महुत रससा है, इस लिये तेरा धन लोग खाते हैं, सो कुछ ठहर कर परिणाम में वेरा मा होगा भवात् वेरा सब दुस मिट जायेगा, इस नाव का यह पुरावा है कि पर में माई हुई है या होगी। ३१४- पूछने पाछे । यह कुन फस्याम तमा गुण से मरा हुआ है, तू निमि न्वता (येफिकी) के साप चावी ही सब कामों का सिद्ध होना चाहता है। सो सम काम पीरे २ सिद्ध होंगे, इस बात की सस्यता का यह प्रमाण है -िसू सम में परिभ होना, सम्पति, तालाब, वा महली, इन में से किसी बस में देखेगा।। ३२१-हे पूछने मते ! यह अकुन भच्म नहीं है, यह काम यो तू ने विचारा निरर्थक है, एक महीने तक तेरे पाप का उदयो इस लिये इसकी भाशा में और स दूसरा काम कर, क्योंकि यह काम भभी नहीं होगा, इस माव की सत्वता पर प्रमाण है कि-तू सम में प्रोस वा गया लोगों को अपना मगर को देखेगा, सकर सुले तालीफ होगी इस निये यहाँ से भोर सानो चग गा बि-बिस से सुस सप्लीफ न होगी। ३२२-२ पुग्ने बासे! एक महीना हुमा है तब से पम के सिमे मेरे पित में उद्रेम हो रहा है परतु भव तरे त्रु भी मित्र हो मागे, सस सम्पति की वृद्धि होगी, पन का लाभ अपस्म रोगा भौर सर्जर से भी मुझे कुछ सम्मान मिलेगा, इस बात । या पुरावा है फि-तू ने मैथुन की मात पीत की है। २२३- पूछने पासे । मपपि मरे माम्प का मोड़ा उदय है परन्तु उकसीफ तोता पीनरी, भच्छे प्रकार से राने के लिये ठिकाना मिलेगा. धन का काम हात प्यमे मजन की मुठामत होगी तथा सब तु सों का नाम होगा, तू मन में चिन्ता मन कर, इस पात का यद पुराया है हि-तू सम में पारों से मुलानत को इसेगा। । १२१-८ पूरुमे गाते ! तर मन मोर जमीन की नदि होगी, सन्मापार में सम्मान ने पायेगा तमा वो तू ने मन में पिपार रियायपपि पह सम सिद्ध हो हो बा परन्तु तेरे मन में कई सरल तथा पिता है, इस गाव श्री सत्पता का ना प्रमाण हिवेर शिर में उसम का निशान दे, अथवा तू राय को सदर सोया होगा। २३१-ह पूरने वाठे | नू नपने पित्त म पाम, म्य, पर, सम्पति और धन ध्र

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