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चैनसम्प्रदायशिक्षा ||
४१२ - पूछने वाले ! तेरे मन में स्त्रीविषयक चिन्ता है, तेरी कुछ रकम भी छोगों में फँस रही है और अब तू माँगता है तब फेयल हो, नाँ होती है, धन के विषय में तकरार होने पर भी तुझे लाभ होता नहीं दीखता है, यद्यपि तू अपने मन में शुभ समय (सुवस्वी) समझ रहा है परन्तु उस में कुछ दिनों की ठीक है मर्यात् कुछ दिन पीछे वेरा मतलब सिद्ध होगा ।
४१३ - हे पूछने वाले ! तेरे मन में धनलाम की चिन्ता है और तू किसी प्यारे मित्र की मुलाकात को चाहता है, सो तेरी जीत होगी, अचल ठिकाना मिलेगा, पुत्र का काम होगा, परदेश जाने पर कुछ क्षेम रहेगा तथा कुछ दिनों के बाद तेरी बहुत वृद्धि होगी, इस बात की सत्यता का यह प्रमाण है कि तू स्वम में काच ( वर्पण ) को देखेगा ।
४१४ - हे पूछने वाले । यह बहुत अच्छा शकुन है, तुझे द्विपद अर्थात् किसी मामी की चिन्ता है, सो महीने भर में मिट जावेगी, धन का लाभ होगा, मित्र से मुख्यत होगी तथा मन के विचारे हुए सब काम श्रीम ही सिद्ध होंगे ।
४२१ - पूछने वाले ! तू घन को चाहता है, तेरी संसार में प्रतिष्ठा होगी, परदेश में जाने से मनोवाञ्छित (मनचाहा ) लाम होगा तथा सज्जन की मुलाकात होगी, तने स्वम में पन को देखा है, या स्त्री की बात की है, इस अनुमान से सब कुछ षच्छा होगा, तू मासा की चरण में खा; ऐसा करने से कोई भी विन नहीं होगा ।
४२२-हे पूछने वाले ! तेरे मन में ठकुराई की चिन्ता है; परन्तु मेरे पीछे तो वरि ब्रसा पढ़ रही है, तू पराये ( दूसरे के ) काम में लगा रहा है, मन में बड़ी तकलीफ पा रहा है तथा सीन वर्ष से तुझे केस हो रहा है अर्थात् सुख नहीं है, इस लिये तू अपने मन के बिचारे हुए काम को छोड़ कर दूसरे काम को कर, वह सफल होगा, तू कठिन स्वम को देखता है तथा उस का तुझे ज्ञान नहीं होता है, इस किये जो तेरा कुलधर्म है उसे कर, गुरु की सेवा कर तथा कुलदेव का ध्यान कर, ऐसा करने से सिद्धि होंगी " ।
४२३-हे पूछने वाले ! तेरा विजय होगा, छत्रु का क्षय होगा, धन सम्पतिका सभ होगा, सखनों से मीति होगी, कुल क्षेम होगा तथा औषधि करने भावि से समभ होगा, भय तेरे पाप क्षम नाच ) को प्राप्त हुए, इस किये जिस काम को तू विधारता है मह सब सिद्ध होगा, इस बात का यह पुरावा है कि तू स्वम में वृक्ष को वेस्लेगा ।
४२४–हे पूछने वाले ! तेरे मन में बड़ी भारी चिन्ता है, तुझे अर्थ का नाम होगा, तेरी जीत होगी, सज्जन की मुलाकात होगी, सब काम सफल होंगे तथा चि में भानन्य होगा ।
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४११-३ पूछने वाले | यह शकुन दीर्घायुकारक (बड़ी उम्र का करने वाला) है, तुझे दूसरे ठिकाने की जिन्सा है, तू भाई बन्धुओं के आगमन को भाता है, तू अपने मन में