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जैनसम्प्रदामशिक्षा ||
तो जानना चाहिये कि - प्रवा में रोग और चोक होगा, दुर्भिक्ष चिप में चैन नहीं रहेगा इत्यादि, यदि सूर्य खर में वायु तत्व चाहिये कि राज्य में कुछ विग्रह होगा और वृष्ठि योगी होगी सुखमना पढता हो तो जानना चाहिये कि मपनी ही मृत्यु होगी और छत्रम होगा तथा कहीं २ गोड़े मन व पास मावि की उत्पत्ति होगी और कहीं २ बिलकुल नहीं होगी, इस्मादि ॥
पड़ेगा तथा राजा के क्या हो तो समन्य तथा यदि सूर्य स्वर में
वर्षफल जानने की तीसरी रीति ॥
१--यदि मान सुवि सप्तमी को भगवा अक्षयतृतीया को मातःकाल चन्द्र स्वर में पृथिवी तत्स्व या वस्त्र तत्व भलता हो सो पूर्व कहे अनुसार श्रेष्ठ फल जानना चाहिये ।
२ यदि उक्त दिन प्राप्ता यमि आदि सीन तत्त्व धरूसे हों तो पूर्व कहे अनुसार निकृष्ट फल समझना चाहिये ।
३-यदि उक्त दिन मातःकाळ सूर्य स्वर में पृथिवी तत्त्व और वह तस्य चकता हो यो मध्यम फळ मर्यात् साधारण फल जानना चाहिये ।
४–यदि उक्त दिन प्रातःकाल शेष तीन तत्व भरते हो वो उन का फल भी पूर्व कहे अनुसार मान लेना चाहिये ||
अपने शरीर, कुटुम्ब और घन आदि के विचार की रीति ॥
१ यदि चैत्र सुवि पड़िया के दिन माव काल चन्द्र तर न चता हो तो जानना चाहिये कि-सीन महीने में इवन में बहुत चिन्ता और केस उत्पन्न होगा ।
सेना
२-वि चैत्र सवि द्वितीया के दिन मास कास चन्द्र स्वर न पता हो सो मान चाहिये कि -परदेश में जाना पड़ेगा और वहाँ अधिक दुख भोगना पड़ेगा ।
१- यदि चैत्र सुदि सीमा के दिन माताका चन्द्र स्वर न चष्म्या हो तो जानना चाहिये कि शरीर में गर्मी पिचन्नर तथा रक्तविकार भादि का रोग होगा ।
४-यदि चैत्र सुदितुर्थी के दिन प्रातःकाळ चन्द्र स्वर न बसा हो तो जानना चाहिये कि मौ महीने में मृत्यु होगी ।
५- पवि चैत्र सुदिपश्चमी के दिन मास का चन्द्र स्तर न पता हो तो जानना चाहिये कि राज्य से किसी मकार की तकलीफ तथा दण्ड की प्राप्ति होगी ।
६-यदि चैत्र सुदिपष्ठी (छठ) के दिन मास का पन्द्र खर न पता हो तो जानना चाहिये कि इस वर्ष के अन्दर ही माई की मृत्यु होगी ।
७ – यदि चैत्र सुदि सप्तमी के दिन प्रात काम चन्द्र र म जस्ता हो तो जानना चाहिये कि इस वर्ष में अपनी भी मर जावेगी ।