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मैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ मागः मारवाड़ी वैश्य ( महेश्वरी और अगरवाल आदि ) भी सब ही इस तुर्मसन में निमम है, हा विचार कर वेसने से यह कितने शोक का सिय प्रतीत होता है इसी लिये वो कहा जाता है कि वर्तमान में वैश्य बाति में भविपा पूर्णरूप से पुस रही है, देखिये ! पास में प्रष्य के होते हुए भी इन (येश्य बना ) फो अपने पूर्वजों के माचीन व्यवहार (पापारादि) तथा वर्तमान फाल के भनेक व्यापार बुद्धि को निनुद्धि रूप में फरने पाठी भयिपा के निकट प्रभाव से नहीं सूझ पाते हैं भर्यात् । सिवाय इन्हें और फोर व्यापार ही नहीं सूमता है! भला सोचने की पात र-िमा फा करने पाण पुरुप साहकार वा धार कभी कहछा सकता है। कभी नहीं, उन म निश्चयपूर्वक मह समझ लेना चाहिये कि इस दुर्मसन से उन्हें हानि के सिवाय और कुछ भी धाम नहीं हो सफता दे, ययपि यह पात भी कचित् देखने में माती है किन्हीं लोगों के पास इस से भी वन्य भा जाता है परन्तु उस से क्या तुमा ! क्योकि यह व्रम्प वो उन के पास से शीघ्र ही पा जाता है. ( जुर से उन्मपात्र हुमा भाग सक कहीं कोई भी सुना या देखा नहीं गया है, इस के सिपाय यह भी विचारने में पाती फिनस काम से एक को पाटा कग फर ( हानि पहुँच फर ) दूसरे को बन्न प्राप्त होता है मत पर प्रम्य विशुद्ध ( निष्पाप षा दोपरहित ) नहीं हो सकता है, इसी लिये तो ( दोपयुक्त होने ही से वो ) यह द्रष्म दिन के पास ठहरता भी है मामला न्सर में भौसर मादि म्पर्भ कामों में ही सर्प होता, इस फा प्रमाण प्रत्यक्ष ही इस लीजिये कि-बाब स स से पाया हुभा किसी का भी दम्म विपालम, पीपमाम्म, पम धाग और सवावस भावि शुमा कमों में लगा हुमा नहीं दीखता है, सत्य है कि-पापा पेसा शुभ कार्य में कैसे लग सकता है, क्योंकि उस के तो पास भाने से ही मनुष्य का मुनि मलीन हो जाती है, पस नुदि के मर्गन हो माने से पह पैसा शुम कामों में मन न हो कर मुरे मार्ग से ही जाता है।
ममी पोरे ही विनों की बात है कि-ता ८ जनवरी सुपवार सन् १९०८ : संयुक्त मान्त (पूनाइटेर प्रापिन्सेम ) के छोटे गट साहन मागरे में झीगन का मुनिगा परवर रसमे के महोत्सय में पपारे पे तमा वहाँ भागरे के तमाम म्यापारी सूजन या उपसित में, उस समय भीमान् छोटे गट साहब ने अपनी सुमोम्म मङ्गता में भाग बननेभोर यमुना जी के नये पुरा के कामों को विखण कर भागरे के मापारमा को यहाँ के म्यापार के मकाने के सिप पहा पा, उच्च मरोदय की पता को भविष्य न किस कर पाठकोशाना हम उसमा सारमात्र सिसते है, पाठकगण उस पर कर समझ सकेंगे किक पाइप पहातुर ने अपनी सफता में प्यापारियों को कसा उधम शिक्षा दी भी, पता फा माराध यही था कि "ईमानदारी भोर सपा मेन इन