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चैनसम्प्रदायशिक्षा ||
चोरी गई अथवा खोई हुई वस्तु की प्राप्ति वा अप्राप्ति का वर्णन ॥
पूर्व विद्या में दक्षिण दिला में
श्रीम मिलेगी
रोहिणी
पुष्य
उत्तरा फाल्गुनी
विश्वाला
पूर्णापाड़ा
मनिष्ठा
खेती
संन्या
१
२
२
●
५
सीन दिन में मिलेगी
་
मृगशीर्ष
भाश्लेषा
दख
अनुरामा
उचरापाड़ा
समिषा
अश्विनी
नाम नक्षत्र मदार
अश्विनी चू, चे, पो, का,
मरणी सी, सु, से, सो
कृषिका ष, ई, ऊ, ए,
पश्चिम दिशा में
एक मास में मिलेगी
रोहिणी भो, या भी, बू
मृगशिर वे, वो का, की
भार्ता, पछ
भावा
मषा
चित्रा
ज्येष्ठा
ममिजित् पूर्वाभाद्रपद
भरणी
विज्ञान — ऊपर के कोष्ठ से यह समझना चाहिये कि जिस दिन वस्तु स्लोड़ गई हो अथवा जुराई गई हो ( वह दिन यदि मालूम हो तो) उस दिन का नक्षत्र देखना चाहिये, यदि रोहिणी नक्षत्र हो तो ऊपर मिले अनुसार समक्ष लेना चाहिये कि वह बस्तु पूर्व दिशा में गई है तथा वह शीघ्र ही मिलेगी, यदि वद दिन मासूम न हो तो बिस दिन अपने को उस वस्तु का चोरी खाना वा खोपा जाना मास हो उस दिन का नक्षत्र देख कर ऊपर खिले अनुसार निर्णय करना चाहिये, यदि उस दिन सुमीर्ष नक्षत्र हो तो जान लेना चाहिये कि वस्तु दक्षिण दिशा में गई है तथा वह तीन दिन में मिलेगी, यदि उस दिन भार्द्रा नक्षत्र हो तो जानना चाहिये कि वह वस्तु पश्चिम दिला में गई है तथा एक महीने में मिलेगी और यदि उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र हो तो जान लेना चाहिये कि वह वस्तु उधर विद्या में गई है तथा वह नहीं मिलेगी, इसी कार कोष्ठ में मिले हुए सब नक्षत्रों के अनुसार वस्तु के विषय में निश्वय कर लेना चाहिये |
नाम रखने के नक्षत्रों का वर्णन ॥
उत्तर दिशा में नहीं मिलेगी
पुनर्वसु
पूर्वाफाल्गुनी
स्वाति
मूल
अपण
उपराभाद्रपद
कृचिका
संख्या नाम नक्षत्र अक्षर
७ पुनर्वसु के, को, हा, ही, पुम्म हे, हो, डा, ९ मापाडी, सु, डे, डो,
८
1
१०
माम, मी, मू, मे,
११
पूर्वाफागुनी मो, टा, टी, टू उत्तराफागुनी टे, टो, प, पी,
१२