________________
मैनसम्प्रदायशिक्षा ||
सात करणों के नाम ॥
मर्षात् यदि तिथि ठ परन्तु शुक
बीतता है,
१-यय । २-माक्य । १--कौम्य । 8- तैतिल । ५-गर । ६-बमिव । और ७ - विधि ॥ सूचना-तिथि की सम्पूर्ण पड़ियों में दो करण भोगते हैं घड़ी की हो तो एक करण दिन में तथा दूसरा करण रात्रि में पक्ष की पड़िया की समाम परियों के दूसरे आगे भाग से बब और सभा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की घड़ियों के दूसरे आधे भाग से हैं, जैसे देखो ! चतुर्दशी के दूसरे भाग में शकुनि, अमावास्या के प्पद, दूसरे भाग में माग और पड़िया के पहिले भाग में किंस्तुम, ये ही भार सिर करण कहलाते हैं |
वाक्य भावि भाते हैं सदा स्थिर करम बाते पहिले भाग में
૧૦૮
सिथि प्रथम भाग
१
किंस्तुम
ર્
'
१
८
१०
११
१२
१३
१४
१५
शुक्र पक्ष ( सुदि) के करण ॥
द्वितीय भाग
वालय
वैतिक
गणिम
बग
कौन
गर
विष्टि
मालय
सैखिक
बमिज
करणों के बीतने का स्पष्ट विवरण |
कृष्ण पक्ष ( यदि ) के
तिमि मथम भाग
१
थब
भैय
गर
विष्टि
भय
फौम्य
गर
विष्टि
माम्य
ਰੈਲ
वणिज
गम
कौलव
गर
विष्ठि
माकन
वैविक
मिज
४
५
मन
ܐ
११
बालव
ਚੈਰਿਜ
मणिब
मय
फोनव
गर
विष्टि
मालय
वैविन
गणिय
मय
कोलम
करण ॥ द्वितीय माम
फोन
गर
विष्ठि
चतुष्पन
गर
विष्टि
१२
R
१४
३०
अमावस
शुभ कार्यों में निषिद्ध तिथि आदि का वर्णन ॥
जिस तिथि की वृद्धि हो वह तिथि, जिस तिथि का क्षय हो यह तिथि, परिष होय
बालय
ਬੇਡ
मिज
कोय
गर
विष्टि
याम्य
हैविल
मिय
शकुनि
नाग