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जनसम्पानिशा॥ विपिम्मा-ग गरी मरतान क य निी पिनप (मास) प्राण (11) मन की आपसना (मन) नहीं है, क्याडि पर (मपटार) राग का अरी शि
म राम श्री निति का सबसे अच्छा उपाय 40 भीष मामि घर का विधी प्रकार काहानि न परि तथा मन का मथा (भाराम नाम) प्रामस: उमी भरपयाग (INR) में जाना चाहिय ।
मणिपाम-रागीकर की विप (माम वीर म) गम्माड रमनी पास, । पानी टि मुम पर लगाना चादिम, मानिस सुपाना चाहिम मा बि गानी पादप, यदि गगीको दाँतावान ताना मार मुम मिनरी नई पद र दना सादिय, सना (भमरी) में पिरी मगानी बारिस Bा र माटी पाहिय भोर रागाभा पानी मिलना माहिये।
इस राग कामना मा भारम सिदिस (मा) उस पीपीएम पाम भना भारिप अब उसकारणीनिरनी पाहिम, मन वाम रमन पाश्मि या गीमित मार मार त्मिना माहिस. उस मनाभकामप्र 14 भना भादि। नि काम ग़ग विचार करन स अश्वा पप जन्मन ग बाना नाममा कारण यदी-ममम प्रमोरमनधि पदमन इन विधाम-रागम पाप ५ इमार उपपानी हाजिन राम नगर पर भार मप्रति मानना भारीरिक (खरीप) भार माना (मन ) पापाम भाइस गग में अधिक समय (मरमन) मान गया १६ पास पारीन गगमन नामक पन्द्रमा प्रकरण समाम हुन। इति भान नाम्पर पिता, मनिपामाप, विसम्मिबिया, जम्मामाम्प-नर्मिना, जनसम्प्राय शिधापा,
पामायः ॥