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मैनसम्प्रवाक्षिक्षा ||
सुलखान से सलाम की, झुकतान उसे देख कर बहुत प्रसन्न हुमा तथा उसे उसका पूर्व काम सौंप दिया, एक दिन इन्कारे ने सुल्तान से झाँक्षणसिंह की चुगळी वाई मर्षात् यह कहा कि - " हजूर सामत ! शाँझमसिंह ऐसा जबरदस्त है कि उस ने अपने पीर के किये करोड़ों रुपये स्वमाने के स्वर्भ कर दिये और भाप को उस की खबर तक नहीं बी" इसका की इस बात को सुन कर सुल्तान बहुत गुस्से में बागया और झाँझणसिंह को उसी समय वर्वार में मुळवाया, साँझणसिंह को इस भाव की स्वबर पहिले ही से हो गई भी इस लिये वह अपने पेट में कटारी मार कर तथा ऊपर से पेटी बाँध कर वर में हामिर हुआ और सुल्तान को सकाम कर अपना सब हाल कहा और यह भी कहा कि“हजुर ! आप की बोवाला पीर के भागे मैं कर आया हूँ" इस बात को सुन कर सुब सान बहुत प्रसन्न हुआ परन्तु कमरपेटी के खोलने पर शॉझणसिंह की जान निकल गई, बस यहीं से कटारिया नाला मकट हुई अर्थात् झझिणसिंह की मौकाव वाले लोग कटा रिमा कहलाये, कुछ समय के बाद इनकी भौताव का निवास मॉडलगढ़ में हुआ, किसी कारण से मुसलमानों ने इन लोगों को पकड़ा और माईस हजार रुपये का दण्ड किमा, उस समय जगरूप जी यति ( जो कि खरतरभहारकगच्छीय भे) ने मुसम्मानों को कुछ नमस्कार दिला कर कटारियों पर जो बाईस हजार रुपये का que मुसलमानों ने किया था वह छुड़वा दिया, रमपुरा गोत्रवाळे एक पुरुष ने मछाइयाँ (डेड जाति के छोगों ) के साथ खेन देन का व्यापार किया था वहीं से मलाई वास्ता हुई अर्थात् उस की औसादमाले सोग मलाई कहलाने लगे ||
ग्यारहवीं सख्या - रोका, काला, सेठिया गोत्र ॥
पाली नगर में राजपूत भाति के काकू और पाताक नामक दो भाई थे, विक्रमसंवत् १९८५ ( एक हजार एक सौ पचासी ) में युगप्रधान जैनाचार्य श्री जिनदध सूरि जी महाराज विहार करते हुए इस नगर में पधारे, महाराज के धर्मापदेश से काकू को मति मोष प्राप्त हुआ, पाठाक ने गुरु जी से कहा कि- “महाराज ! हम्म धो मेरे पास बहुत परन्तु सन्तान कोई नहीं है, इस लिये मेरा चित सदा दु.लिख रहया दे" यह सुन कर दे गुरु महाराज ने कहा कि- "तू वषामुळे धर्म का प्रण कर तेरे पुत्र होनेंगे" इस बचन पर श्रद्धा रख कर पावाफ ने दमामूल धर्म का महण किया तथा आचार्य महाराज अन्यन बिहार फर गये, काकू बहुत तु घरीर का था इसलिये लोग उसे शंका नाम મે पुफा रो, पावक के दो पुत्र हुए जिनका नाम काटा और बांका था, इनमें से रोका फो नगर सेठ का पद मिला, रोक सेठ की भोलादपाचे होग रोका और सेठिया कदम, पाठाक के प्रथम पुत्र का की बाद वाले लोग पपा और बक फलामे तथा बांध की भौठा बायोग मा गोरा और दक माये, मस इन का वर्णन यही निम्नलिखित है६-गोरा । ७ ।
१ नका । २-पोठिया । ३ता । ४ । ५- माँका
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