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जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ ६-जाप्तीफलादि चूर्ण-जायफल, पाममिदंग, चित्रफ, तगर, विक, साठीसपत्र, चन्दन, साट, गंग, छोटी इलायची के धीज, भीमसेनी फार, हरक, भामग, धठी मित्र, पीपल और बंशलोचन, ये प्रत्येक तीन २ सोरे, पतुजा तक की पारों भोपपियों के तीर तोले तमा भाग सात पर, इन सम का पूण करके सप पूर्ण के समान मिभी मिमी पाहिये, इस फे सेवन से क्षम, मांसी, श्वास, संग्रहणी, अरुचि, जुसाम भोर मन्त्रापि, न सप रोग धीम ही नष्ट होत हैं।
चन न होन मसण-गि उत्तम प्रपर सेरेमन म भा से उस मामि में पोप व्यरवा भय में पर महबार पोचपा समनाम मुगठी प्रपना पाने परम्प प्रमार रामावि भम्भीर बमन प्रोग्र प्रसाद म्यन होवर. एपीपा में पापन भाव दर पाल करना पारिस, अब मम पर जाम भोर भिम होपाल तब पुनः एमप देना बार एस परने पशुत्व म सने उपाय मिररमा पनि प्रारीत सरपरीर मरो प्राव है। भषिक पिरचन हाम फ उपद्रप-वधिक पिरेषन एनेस मुच्छा गुरप (अप्रमिळना) . सभाम प्रबपित गिरमा तपस में भिरबारमा भारिममा इमार उपार व पणी रसा में एमी भरीर पर धौनदी पीतमपम निम्ना पारित पाप मापन में सरकार पर दिमामा बाहिरी हसन या बमन परामा पाहिये माम महत परामरा कार्य में पीगर पाभि पर प रन पर प्रपार पर भी मर पाम भो म प्राय पनि पाप पटी पावर परीप्रसधीवम पदार्थ मा माही पा स्पति परा पिक एक जाने पररा । उत्तम यिरपम होन फसण-परप्रहमन पन मन में प्रत तपा भाराभल पम्ना ये राम उत्तम परेषन के मन पिरधन क गुण-मिय बनाना, परि में सपा मरामि का पेपर पा रणारिभातु भार भराभरना सब रिपन गुणपिरचम में पथ्यापथ्य-सतसा पठमा विसपा प्रताप
मानिनी प्रभावन म्यागमारिपरमार मधुन वे सब किन में परमान भारA पाप भूप भारिप मराग सरपरा रेषम में पप भर्मात दिवाकर
गिराम भमुनाम पर यि (पुरा मरमसगारे)प्रपम भरत पार d भारिप पिसम ममागभनुममन पशि की सीमा नाम सा मात्रा में मृत भारी मात्रा भार
नपा पारवाही भयाभनुपर मन पनि भधिकारी-धमा नमामि नामासम पाराम पाहा मग एक पास भरिभरीभापासन पम्ति भनधिकारी-कारोमी प्रमाणेमी बसन्त र पर माना परमी में मयसपमिया की सर पान सम्पापुम पापी मूति अर्थ पुष भबनी भापरोपी का प्रस it us Taता पर(नुमानन) atialaNAATल मति (lana मा )
पति पिधान-वधिसना (मप्र) शुस गरि पावर "
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