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चैनसम्प्रदाममिक्षा । २५-आमगाठरोग में-पप्मादि गगुले समा योगराज गृगुस सेवन करना अति गुम पर माना गया है।
२१-शुण्ठीम्बर (साटपा)-सतको सोट ३२ वाले, गाम मपी पारमर, प पार सेर, पीनी मांर २०० तार (दाइ मेर), सौट, मिप, पीपक, दाउमीनी, पार भोर इसमची, में सन प्रस्पेठ चार २ तोले छना चाहिये, प्रथम सांट के पूर्ण ग्रेन में सान कर दूध में पकाकर सोपा (मावा) र लेना चाहिय, फिर माह की पासनी र उस में इस साये को कर उमा मिलाकर पन्दे से नीचे उतार लना चाहिय, प्रेम उस में प्रिकटा और प्रिनौतम पूण गाउपर पाफ बमा दना पाहिम, पीठ इन में से पक टकेमर अषमा ममि के बलावल न पिपार कर उपित मात्रा का संगन पर चाहिय, इस के सेवन से भामगात रोग नए हाता, पान (रस और रफ भाति) हात ६,शरीर में कि टस्सम दोठी, भापु और भात्र की पदि हाती देसमा पनि का पाना सभा मार्ग का अंत सेना मिटता है।
२७-मेधी पाक-मानामरी पाठ टोमर (भाट पर) और सठि भाठ के पर, इन दोन कोट कर कपड़छान पूर्ण कर लेना चाहिये, इस पूण ने माठ कर पी में सान फर मार सेर दूप में बाल मोपा मनाना पाहिस, फिर भाठ सेर सार पासनी में इस साचे फो राक कर मिठा देना चाहिये, परन्तु पासनीक छ नरम रमना पाहिये, पीछे पूस्ते पर से नीचे उतार कर उस में काली मिर्च, पीपल, मात्र पीपरामूड, चिप्रक, भजनामन, जीरा, धनियां, फलोबी, साफ, जायफल, पूर, दालचीन, वेजपात भोर मद्रमोमा, इन सबका प्रस्मेफन पक पक टन भर लेकर काजल पूणर उस पारी पामनी में मिग देना चाहिय तमा रम२ भरी जम भषा सपना ने पाहिसे, इन पमिरे पगमक प्रपिचार र साना पाहिला पन गरन से मामगास, वादी सब राग, पिपम ज्यर, पामराग, प्रमठा, उन्मार (हिटीरिया), भपम्मार (मृगी राग), प्रमा, पावरफ, भम्पपिण, रमपिण, प्रीतपिथ, मममीरा, नेप्रराग भार प्रदर, ये सब रोग मादा जान, देश में पुरता होती रस्त पर भोर बीप की दिदाती।
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१-पम्पारगुजारामतर्गत पगी कविधिमा मा पामार मास काप पारामिना में मार रिम मार सय साने पर मेल + भारिपपिपनी मालि - जिरेस
मामि दान भसम + AL गरा मोर मा. 1-
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