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नसम्प्रदायशिक्षा॥ ११-सौंठ और गोसुरु का काम मात काठ पीने से आमवात और कमर मा (वर्ष) शीघ्र ही मिट बाता है।
१५-इस रोग में यदि कटिशूट (कमर में पद) विशेप होठा हो तो सोठ पर गिलोय के काम (काटे ) में पीपल का पूर्ण राव कर पीना चाहिये ।
१६-गुद्ध (साफ) ही के नीनों को पीस कर दूप में शहर सीर बनाने का इस का सेवन फरे, इस के साने से कमर का दर्द भविवीध मिट माता रे अमोत् कमर के वर्ष में मह परमौर्पधि है।
१५-सहर खेद-पास के पिनाले, कुसभी, तिल, जौ, गह परण की या भससी, पुनर्नवा बोर क्षण (सन) के बीज, इन सब को (यदि ये सप पवा न मा तो ओ २ मिल सकें उन्हीं को लेना पाहिसे) लेकर झट कर तथा काँबी में मिगार दो पोटम्मिा बनानी चाहिये, फिर प्रमेम्ति पूस्हे पर कांनी से मरी हुई होड़ी को रत कर उस पर एक छेदमासे सकोरे को दासदे तथा उस की सन्धि को बंद कर दे तमा सफोरे पर दोनों पोटरियों को रस थे, उन में से जो एक पोटगी गर्म हो मापे उससे पर नीष भाग में, पेट, शिरसे, दाम, पैर, मगुलि, एडी, भे भोर कमर, त सम भंगों में सेफ करे समा मिन २ स्थानों में दर्द हो यहां २ सेक करे, इस पोटम खीत हो जाने पर उसे सकोरे पर रस दे तमा दूसरी गर्म पोटगी को उठाकर सा करे', इस प्रकार करने से सामनात (भाम के सहित वादी) की पीड़ा सीन । शान्त हो चावी है।
१८-महारालादि काप-राखा, भर की अर, भासा, पमासा, कपूर, देयक सिरेटी, नागरमोबा, सोठ, भतीस, हरस, गोस्लुरू, भमम्तास, कसौली, पनिर्मा, पुनन असगन्म, गिोय, पीपल, विषायरा, शतावर, बन, पियानासा, पन्य, सभा पोना (मा बही) कटेरी, ये सब समान माग सेये परन्तु राणा की मात्रा तिगुनी मेये, इन सब । भावक्षेप (नस का माठमां हिस्सा क्षेप रखकर ) मा पना कर सका उस में साठ.. पूर्ण गर कर पीने, इसके सेवन से पादी के सम वोप, सामरोगे, पापात, भारत 1-परमोपरि मात् सर से उत्तम मोपभि । २-प्रगति पर्वत बम्व हुए ॥ -बिभर्षद पदार
-घरम पमै पोरसी से करवा चार प्रपा मोरं पोरी ममै करम सरे पर रखता जाये। ५-मनमर्गत एरण पा भन्म प्रमा -प्रमरोप मात भाम (मास) परिव रोय । -बापत मादि ष वावग .