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पनाना चाहिए, इस
गमान भाग साल धूण का दर्द का कोनी, छाछ भभवा दूध के साथ उन चाहिय, इस का मंचन फान भामान, सूजन भोर भिमाद, य राग प्रान्त हा नावे ई ।
०१-६श्वानर पूर्ण-गंधा नमक या सामान या मात्र अजमा तीन मान, सॉट पांच वाल और बारह ताल, इन राप आपका पारीक क दान छ, पत्री, भी और गम जन, इन में साहे जिस पदायक माग उनलाइ सेवन से नामबान, गुरूम, भारती राग, विशी, मोट शुक, अफग, गुदा राग, निप भोर उदर के सत्र राग भीम ही प्रान्त हा नाम दें भामभावायु (अपानवायु) का अनुसामन (नीच का गमन ) दाता है ।
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७२- मसीतकादि चूर्णकाम, पीपक, गिलोय, निमोध, बाराहीन्द्र, ग (माक का मेर ) और गोठ, इन सब माधियों का समान भाग कर चूल कर तथा इसका गर्म, मोड़, यूप, छाछ और दही का जल, इन में से किसी एक के माग नाक, गृमग्री, सपात, विश्वाची, सूनी, मनूनी, जंपा के राज, आमगाव, भर्दिन (का), मातरह, कमर की पीड़ा, गुरुम (गोडा ), गुत के रोम प्र रोग, पाण्डुरोग, सूजन सभा का सत्र रोग मिट जाते है । ५३- शुण्ठीपान्यकत-साठ का चूर्ण छ दा टकमर, इनमें भोगुना काम पर एक सैर भी का परिएक करना (पाना) चाहिय, यहया के राग का दूर है, अमिका माता दे तथा गमासी श्राम और योगी का नष्ट करभरण का उत्पाता है।
टफे भर ( छ: पक) तथा भनिन्
नापाि ॥
२- शुण्ठीत
यदि मनाना हा या गावर क एक साथ भी का पाना भादियमा यदि भमिरीपन छाछ के साथ भी का पकाना चाहिम, इसी कार का मागुनी फनी का डालकर सिद्ध करना चाहिम, मद पुत्र अमिकारक व्रमा नामगाव एकता है ।
कर तथा
५' - दूसरा शुण्ठी
और
१- गुम्म भो वा
नई
-नवा मीरादिका ॥ भगवान राम है
-
६- ॥
ततका विद
वही, गामून भोर
सिप मनाना
एफसर श्र्व
और चार